महाराष्ट्र

किसानों को फंसानेवाले व्यापारियों को होगी तीन साल की कैद

कृषि कानून में संशोधन करनेवाला विधेयक मंत्रिमंडल के सामने

मुंबई/दि.5 – व्यापारी व किसान के बीच होनेवाले करार की शर्तों के मुताबिक तय तारीख से सात दिन पूर्व यदि संबंधित व्यवहार पूर्ण नहीं किया जाता है, तो इसे व्यापारियों के साथ जालसाजी माना जायेगा. जिसके लिए संबंधित व्यापारी को तीन साल के कारावास अथवा पांच लाख रूपये के दंड या दोनों सजाएं सुनाई जायेगी. इस आशय का महत्वपूर्ण संशोधन करनेवाला विधेयक राज्य सरकार द्वारा तैयार किया गया है. जिसे रविवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के समक्ष रखा गया.
केंद्र सरकार द्वारा तैयार किये गये कृषि कानूनों की कमियों का अध्ययन करते हुए उन पर उपाय सुझाने हेतु उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता में राज्य सरकार के 9 मंत्रियों की उपसमिती गठित की गई थी. इस समिती द्वारा राज्य के विभिन्न किसान संगठनों के साथ बैठक करते हुए चर्चा की. जिसके बाद राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात की अध्यक्षता में एक नई समिती गठित की गई. जिसके द्वारा इस विधेयक का मसौदा तैयार किया गया. ज्ञात रहेें कि, सात माह पूर्व केंद्र सरकार द्वारा लाये गये कृषि कानूनों का लगातार विरोध जारी है. जिसके मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा इस कानून में कई महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए सही अर्थों में किसानों को न्याय देने का काम किया गया है. ऐसी प्रतिक्रिया राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात द्वारा दी गई है. उन्होंने बताया कि, यह विधेयक राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखा जायेगा. जहां से इसे मंजुरी प्रदान की जायेगी. केंद्र द्वारा लाये गये कृषि कानूनों की त्रृटियों को खोजकर कई आवश्यक बदलाव राज्य सरकार द्वारा यह विधेयक तैयार किया गया है. जिसके जरिये एक तरह से राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय विधेयक को सटिक जवाब देने का प्रयास भी किया गया. यह विधेयक तैयार करते समय राजस्थान, पंजाब व छत्तीसगढ इन तीन राज्यों द्वारा अपने यहां क्या-क्या बदलाव किया गया है. इसका भी अध्ययन मंत्रिमंडल उपसमिती व राजस्व मंत्री थोरात की मसौदा समिती द्वारा किया गया है.

राजू शेट्टी हैं विधेयक के खिलाफ

वहीं किसान नेता राजू शेट्टी द्वारा कहा गया है कि, इस विधेयक में केंद्र सरकार द्वारा तैयार किये गये तीनों कृषि कानूनों का विरोध करनेवाला प्रस्ताव रखा जाये और राज्य सरकार द्वारा तैयार किये गये विधेयक पर किसानों के साथ पहले चर्चा की जाये. जिस पर राकांपा नेता व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि, केंद्र सरकार द्वारा तैयार किये गये तीनों कृषि कानूनों का विरोध करने हेतु अधिवेशन में प्रस्ताव रखा जायेगा. साथ ही राज्य द्वारा तैयार किये गये विधेयक को किसानों के सामने भी रखा जायेगा. चूंकि केंद्र सरकार ने अपने ही बनाये गये कृषि कानून को स्थगित किया है. ऐसे में किसानों का पूर्ण समाधान करने के बाद ही राज्य सरकार द्वारा इस विधेयक को विधानसभा में रखा जायेगा.

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