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सोशल मीडिया की सूनामी में बह रही पारंपारिक पत्रकारिता

वरिष्ठ पत्रकार तोरसेकर का कहना

* अमरावती में जीवन गौरव पुरस्कार स्वीकारने पधारे
* लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सवाल उठाने वाले नासमझ
* तकनीक ने बदल दी पारंपारिक पत्रकारिता
* नये बदलाव को स्वीकारना और उसमें ढालना आवश्यक
* लोगों के बीच रहने से ही सटीक भविष्यवाणी
अमरावती /दि.27– महाराष्ट्र के बडे सोशल मीडिया इन्फ्ल्यूएंसर माने जाते वरिष्ठ पत्रकार गणेश वसंत उर्फ भाउ तोरसेकर ने कहा कि, सोशल मीडिया की सूनामी आयी है. जिसमें पारंपारिक पत्रकारिता बह गई. आहत हो गई. तिलमिला उठी है. उसे काल का यह परिवर्तन स्वीकार कर उसके अनुसार स्वयं को ढालना होगा. तभी वह जीवित रह सकती है, सर्वाइव कर सकती है. तोरसेकर आज दोपहर अमरावती मंडल कार्यालय में पधारे. वे अमरावती जिला मराठी पत्रकार संघ के जीवन गौरव पुरस्कार स्वीकारने के लिए पधारे हैं. उनसे संपादक अनिल अग्रवाल और संपादकीय सहयोगी लक्ष्मीकांत खंडेलवाल ने विस्तृत संवाद किया. तोरसेकर ने सभी प्रश्नों के उत्तर दिये. व्यक्तिगत जीवन पर भी 80 बरस के होने जा रहे वरिष्ठ पत्रकार ने उत्तर दिये. किंतु यह भी कहा कि, सेलेब्रिटी होना नुकसानदायक होता है. वे फैमिली मैन हैं. उन्हें विशिष्ट होने से परहेज है. यूट्यूब पर पिछले चार-पांच वर्ष से उनका प्रतिपक्ष चैनल लाखों व्यूज बटोर रहा है. उसी प्रकार आपने प्रिंट मीडिया में भी एक दर्जन से अधिक प्रिंट हाउस में 20 वर्षों तक पत्रकारिता कर छाप छोडी है. उन्होंने विस्तृत बातचीत दौरान अपने यूट्यूब चैनल शुरु करने और उसके अत्यंत सफल होने के भी राज खोले. उसी प्रकार लोगों के बीच रहकर अपने पूर्वाग्रह छोडने पर सही आकलन कर पाने की भी बात कही. हमेशा की तरह वे कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के प्रति कठोर रहे. वहीं इंदिरा गांधी, नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री के रुप में एवं राजनेता के रुप में राम मनोहर लोहिया श्रेष्ठ होने का अपना दृढ मत रखा.
* बाढ में अच्छा-बुरा सब आता है
वरिष्ठ पत्रकार तोरसेकर ने दावा किया कि, सोशल मीडिया महापुर (बाढ) है. जिसमें कचरा, खजाना सभी बहकर आ रहा है. समाज को तय करना है कि, उसे कचरा एकत्र करना है, या कीमती सामान. उन्होंने यह भी दावा किया कि, लोगों को पॉझिटीव बात और कार्य पसंद आते है. उन्होंने ट्रक चालक आर. राजेश का उदाहरण दिया, जो वर्ष के 330 दिन ट्रक चलाते हुए रहते हैं. फिर भी समाज में सकारात्मकता देखते हैं. उस पर रील बनाकर समाज माध्यमों पर डालते हैं. उनके रील्स को लाखों व्यूज मिलते हैं. तोरसेकर ने स्वीकार किया कि, आर. राजेश से ही उन्हें अपने यूट्यूब वीडियो बनाने की प्रेरणा प्राप्त हुई. उल्लेखनीय है कि, तोरसेकर के मराठी यूट्यूब चैनल प्रतिपक्ष ने पिछले तीनों वर्षों में व्यूज के तमाम कीर्तिमान भंग किये हैं.
* कांग्रेस किसी एक्स्पायर्ड दवा की तरह जहरीली
तोरसेकर ने कहा कि, कांग्रेस को राष्ट्रवाद को छोडने से ही उसे भारी नुकसान हुआ है. वह न केवल सत्ता से बेदखल हो गई अपितु आज भी उसके कर्णधार नहीं समझ रहे, जिससे वह देश के लिए एक्स्पायर्ड दवा की तरह विषैली हो गई है. आज जहां कांग्रेस है उससे आगे यदि उसने अपने आपमें, अपनी लीडरशिप में बदलाव नहीं किया, तो खत्म हो जाएगी. उन्होंने दावा किया कि, नरेंद्र मोदी के मुकाबले राहुल गांधी जैसे लीडर को उतारने की चूक कांग्रेस बारंबार कर रही है. जबकि उसके पास कई नेता हैं. भाउ तोरसेकर ने दावा किया कि, 10 वर्षों में मोदी ने एक भी छुट्टी नहीं ली. जबकि राहुल गांधी एक इलेक्शन के बाद थाइलैंड या इटली चले जाते हैं. विदेशी धरती पर जाने पर भी भारत में लोकतंत्र नहीं होने की बदनामी करते हैं. उन्हें अपनी दादी इंदिरा गांधी से सीखना चाहिए था. इंदिरा गांधी गजब की राष्ट्रवादी नेत्री रहने का दावा कर वरिष्ठ पत्रकार तोरसेकर ने कश्मीर में जाकर अल्पसंख्यक हिंदू हितों की बात की थी. तोरसेकर ने कहा कि, वे इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी को देश के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री मानते हैं. वहीं प्रश्न के उत्तर में उन्होंने भारत से कम्युनिस्ट आंदोलन खत्म हो जाने के बारे में भी कहा कि, भारतीयता को ध्यान में रखकर कम्युनिस्ट जब तक चल रहे थे, तब तक वे यहां भी स्वीकार्य थे. किंतु भारतीयता का दामन छोडने से आज कम्युनिस्ट कही के नहीं रहे. उन्होंने दावा किया कि, कम्युनिस्ट भी जनता से दूर होने वाले फंडे अपनाने से भारत में नष्ट होने की कगार पर हैं.
* एक मिनट में बदलता मत
तोरसेकर ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में महायुति की सुनामी की भविष्यवाणी की थी. उन्होंने दावा किया कि, एबीपी माझा की पत्रकार के साथ उनकी बातचीत में उन्होंने शिवसेना शिंदे और बीजेपी के 180 से अधिक सीटों का अंदाज व्यक्त किया था. जिसमें उनका अंदाज सही निकला. अजीत पवार की राकांपा की सीटें मिलाकर 200 से अधिक स्थान जीतने का आकलन भी सही निकला. इसी संबंध में पूछा गया कि, लोकसभा और विधानसभा चुनाव में लोगों का वोट कैसे परिवर्तित हो गया. भाउ तोरसेकर ने सउदाहरण बतलाया कि, मत परिवर्तन एक मिनट में हो सकता है. 1999 में महाराष्ट्र में लोकसभा तथा विधानसभा के चुनाव एक साथ हो रहे थे. एक ही बूथ में जाकर आपको पहले लोकसभा और फिर विधानसभा के लिए वोट डालना था. इसमें एक मिनट का अंतर रहा होगा. लोगों ने लोकसभा में बीजेपी को पसंद किया. वहीं विधानसभा में कांग्रेस आघाडी को वोट दिया. भाउ तोरसेकर ने उद्धव ठाकरे का भी उदाहरण दिया. ठाकरे ने 2019 के चुनाव परिणाम आने के एक घंटे के अंदर अपने मत परिवर्तन कर लिये. बीजेपी की बजाय वे कांग्रेस-राकांपा शरद पवार के साथ चले गये.
* सीएम कुर्सी का मोह
भाउ तोरसेकर ने अपने अंदाज में प्रश्नों के उत्तर में कहा कि, शिवसेना उबाठा को अब महाराष्ट्र में भविष्य नहीं है. उसने अपना हिंदूत्व का मूल भाव त्यागकर अपने पैरों पर कुल्हाडी मार ली. तोरसेकर ने आंकडों सहित कहा कि, 1990 से लेकर अब तक के सभी चुनाव में शिवसेना को औसतन 18 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए. जो उसके भारतीय जनता पार्टी के साथ रहने से कायम थे. हाल के विधानसभा चुनाव में शिवसेना के इन 18 प्रतिशत स्थायी वोटर्स ने शिवसेना शिंदे गट को पसंद किया. जिससे अब कांग्रेस और राकांपा के बजाय शिवसेना उबाठा के पास 3-4 प्रतिशत वोट शेयर बचा है.मुख्यमंत्री की कुर्सी का मोह उद्धव ठाकरे को ले डूबने का दावा वरिष्ठ पत्रकार तोरसेकर ने किया.
* जनता ने बताया गद्दार कौन?
भाउ तोरसेकर ने कहा कि, शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर 2019 का चुनाव लडा था. दोनों को जनता ने 161 सीटें दी थी. जनादेश से बगावत कर उद्धव ठाकरे कांग्रेस और राकांपा के साथ चले गये. शिवसेना ने हिंदुत्व का त्याग किया. जिसे एकनाथ शिंदे ने समय के साथ परिवर्तन कर ठीक करने का प्रयत्न किया. शिंदे को गद्दार कहने वाले जनता की कोर्ट में नकारे गये हैं. एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 सीटें जीतकर खुद को सही साबित किया है. तोरसेकर ने भविष्यवाणी कर दी कि, उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने अपना मूल छोड दिया था, इसलिए आज वह बुरी तरह डगमगा गई है. उसका भविष्य अधर में है. (शेष अगले अंक में)

* लोहिया पसंदीदा लीडर
वरिष्ठ पत्रकार तोरसेकर ने पूछने पर बताया कि, उनकी दृष्टि में भारत के सर्वश्रेष्ठ नेता राम मनोहर लोहिया थे. लोहिया में राष्ट्रवाद कूट-कूटकर भरा था. ऐसे ही उन्होंने यूरोप का किस्सा बताया. जहां भारतीय का अपमान करने पर लोहिया ने विश्वविद्यालय का व्याख्यान रद्द कर स्वदेश लौट आये थे. मौजूदा दौर में नरेंद्र मोदी बेस्ट प्राइम मिनिस्टर होने की बात कही.

* बेटी भारत सरकार में वरिष्ठ अधिकारी
उनकी पत्नी स्वाति तोरसेकर शासकीय अधिकारी रही है. वहीं एकमात्र पुत्री आज केंद्र सरकार में वरिष्ठ अधिकारी के रुप में कार्यरत हैं. तोरसेकर ने बताया कि, उन्हें अपनी दोयती (नात) से खेलने में बडा अच्छा लगता है. उन्होंने अपनी पुत्री व नात से संबंधित रोचक किस्से व बातें शेयर की.

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