महाराष्ट्र

चुनाव के लिए परप्रांतिय मजदूरों का हुआ स्थलांतरण, उत्पादन घटा

मुंबई /दि.4– 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव का असर महाराष्ट्र के औद्यगिक व व्यापारिक क्षेत्र पर दिखाई दिया है और राज्य में कई स्थानों पर मजदूरों की किल्लत पैदा हो गई है. क्योंकि इन पांच राज्य से वास्ता रखने वाले मजदूर विगत एक माह से प्रचार व मतदान के लिए अपने-अपने गांव वापिस चले गए है. जिसके चलते राज्य की कई औद्यगिक इकाईयों में उत्पादन काफी हद तक घट गया है.
बता दें कि,आगामी लोकसभा चुनाव की रंगीत तालिम के तौर पर राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, तेलंगणा व मिजोरम इन पांच राज्यों में विगत दिनों विधानसभा चुनाव हेतु मतदान कराया गया. जिसमें से मिजोरम को छोडकर अन्य 4 राज्यों में कल रविवार को मतगणना हुई ओर चुनाव परिणाम घोषित किए गए. वहीं इस दौरान यह भी पता चला है कि, महाराष्ट्र में कार्यरत रहने वाले इन राज्यों के कामगार चुनाव संबंधित प्रचार अभियान शुरु होने के समय से ही अपने-अपने गांव लौट गए है. बदलते दौर की राजनीति में सेवाभावी, कार्यकर्ता कम हो गए है और इन दिनों वैतनिक कार्यकर्ताओं की संख्या काफी अधिक बढ गई है. जिसके चलते इन परप्रांतिय कामगारों की संंबंधित राज्यों मेें अचानक मांग बढ गई और चुनाव के समय मतदान करने के साथ ही प्रचार संबंधी कामों के जरिए अच्छा खासा पैसा कमाने की नियत से परप्रांतिय कामगार अपने अपने गृह राज्य में वापिस चले जाते है.

जानकारी के मुताबिक विगत करीब एक माह से परप्रांतिय कामगार अपने-अपने गृह राज्य में डेरा जमाए बैठे है. जिसके चलते उद्योजकों को दशहरे के समय से ही कामगारों की कमी का सामना करना पड रहा है. उल्लेखनीय है कि, चुनाव में प्रचार के लिए निकाली जाने वाली रैलियों में ऐसे मजदूरों को कम से कम 500 रुपए दिए जाते है. तेलंगणा में इसके लिए एक पत्ती यानि 500 रुपए और दो पत्ती यानि 1000 रुपए ऐसी भाषा भी प्रचलित है. इसके इलावा चाय-लाश्ता भोजन व वाहन की भी व्यवस्था की जाती है. चूंकि प्रचार रैली में शामिल होने वाले ऐसे मजदूरों को रोजाना-शाम नगद भुगतान मिलता है. जिसके चलते चुनाव के समय परप्रांतिय कामगारों द्वारा अपने गृहराज्य जाकर इस काम को करना पसंद किया जाता है.
बता दें कि, राज्य के विभिन्न जिलों में वस्त्रोद्योग व निर्माण क्षेत्र सहित कई उद्योगों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ व तेलंगणा राज्यों के मजदूर काम करते है. जो दशहरा व दीपावली की छुट्टी हेतु अपने गांव गए थे और बाद में वहीं पर चुनाव-प्रचार संबंधित काम में लग गए. चूंकि अब इन चारों राज्यों के चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके है. जिसके चलते अब इन परप्रांतिय मजदूरों के वापिस लौटने की उम्मीद है.

* महाराष्ट्र में सुतगिरणी, यांत्रिक करघा व वस्त्रोद्योग जैसे उद्योगों में राजस्थान, छत्तीसगढ व मध्यप्रदेश के कामगारों की संख्या काफी अधिक है. इसी तरह भवन निर्माण उद्योग में छत्तीसगढ व तेलंगणा राज्यों के मजदूर बडे पैमाने पर काम करते है. दशहरा व दीपावली के लिए छुट्टी लेकर अपने गांव लौटे यह मजदूर अपने गृह राज्यों में चुनाव-प्रचार संबंधित कामों में लग गए और विगत एक माह से महाराष्ट्र वापिस नहीं लौटे. जिसके चलते महाराष्ट्र में मजदूरों की किल्लत महसूस होने लगी. जिसका सीधा परिणाम राज्य के उत्पादन पर हुआ है.
– अशोक स्वामी,
अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य,
वस्त्रोद्योग महासंघ

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