औरंगाबाद/दि.१५ – बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने राज्य सरकार से कहा है कि वो अधिक भीड़ वाली जेलों से कैदियों को पैठन ओपन जेल में ट्रांसफर कर दे. औरंगाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस बालचंद्र और जस्टिस रविंद्र वी घुगे की डिविजन बेंच पैठन ओपन जेल के कैदियों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में पैठन ओपन जेल के कैदियों ने आपातकालीन पैरोल की मांग की थी. अदालत ने नौ में से आठ कैदियों की छुट्टियों को मंजूरी दे दी. लेकिन एक कैदी की पैरोल की अनुमति नहीं दी क्योंकि उसने कुछ ही दिन पहले पैरोल ली थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि पैठन कोर्ट में मात्र 41 कैदी हैं जबकि उसकी क्षमता 500 कैदियों की है. दूसरी तरफ बाकी राज्य की बाकी जेलों की हालत ऐसी है कि क्षमता से अधिक कैदी भरे हुए हैं. पैठन ओपन जेल 827 एकड़ में फैली हुई है. इसमें से 325 एकड़ क्षेत्र में गन्ने और बाकी चीजों की खेती होती है. कृषि कार्यों के लिए 220 मवेशियों का उपयोग किया जाता है. जिनकी देखभाल भी कैदी ही करते हैं. मई, 2020 में महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र कैदी नियमों में संशोधन किया था. जिसके अनुसार जेल प्रशासन को अनुमति दी गई है कि वो अपने यहां के कैदियों को अस्थायी तौर पर छुट्टियां दे सकते हैं ताकि जेलों में कोरोना के प्रसार को रोका जा सके. सरकार ने निर्देश दिया हुआ है कि ऐसे कैदी जो अभी अंडर ट्रायल हैं, और जिन पर गंभीर मामले नहीं हैं उन्हें अस्थायी तौर पर छोड़ा जा सकता है.
इस याचिका में कैदियों ने हाईकोर्ट से कहा था कि जेल प्रशासन ने पैरोल की उनकी मांग को ठुकरा दिया है जबकि उनमें से अधिकतर ने पांच से दस साल जेल में बिता लिए हैं. ये इसलिए भी भेदभाव है जबकि बाकी जेलों में कैदियों को इस समय में छुट्टियां दी जा रही हैं. इस पर सरकारी वकील ने कहा कि जेल में कम से कम एक तिहाई कैदियों का रहना तो आवश्यक है ही, जेलों को एकदम खाली करना सही नहीं है.
इस पर कोर्ट ने कहा कि ये सही बात है कि पैठन जेल के रोजमर्रा के काम के लिए, खेती-बाड़ी और पशुओं की देख रेख के लिए कैदियों की जरूरत है. लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए कैदियों के ट्रांसफर किए जा सकते हैं ताकि जहां भीड़ ज्यादा है वहां से इन कैदियों को उन जेलों में ट्रांसफर कर दिया जाए जहां भीड़ कम है.