महाराष्ट्र

हल्दी के दाम 500 रुपए से अधिक कम हुए

देश में 45 लाख बोरे शेष; पूरक उद्योग के मंदी का असर

पुणे-/दि.13
हल्दी के उत्पादन में काफी वृद्धि, पाउडर का इस्तेमाल होने वाले पूरक उद्योग की मंदी एवं उत्पादन की तुलना में निर्यात में वृद्धि न होना आदि कारणों से उत्पादन के दाम में प्रति क्विंटल में 500 से 1000 रुपए से दाम कम हुए. वहीं फिलहाल देश में हल्दी के 45 लाख बोरे (एक बोरा 50 किलो) शेष है. भविष्य में भी दाम में थोड़ी बहुत तेजी आने की संभावना नहीं ऐसा अनुमान जानकारों द्वारा लगाया जा रहा है.
इस बार मराठवाड़ा में काफी बुआई सहित देश में हल्दी की करीबन 2 लाख 44 हेक्टर पर बुआई हुई थी, लेकिन अतिवृष्टि के कारण उत्पादन कम होकर करीबन 80 लाख बोरे उत्पादन हुआ था. दो वर्षों से देश में इस उत्पादन में वृध्दि हो रही है. बावजूद प्रति वर्ष देशभर में करीबन 25 लाख बोरे शेष रहते हैं. जिसके चलते बाजार में 1 करोड़ 10 लाख बोरे बिक्री के लिए उपलब्ध रहते हैं.
इस बार देशांतर्गत पूरक उद्योग में मंदी का वातावरण है. इसलिए हल्दी का इस्तेमाल कम हुआ है. फिलहाल देश में इस उत्पादन के 45 लाख बोरे शेष है. इस बार के मौसम की शुरुआत में दाम में 500 से 800 रुपए से वृद्धि थी. जून महीने में भी दर स्थिर थी. लेकिन अब कुछ पैमाने पर मंदी है. देश में हर रोज चार से पांच लाख बोरे बिक्री होकर भी बाजार में खास उठाव नहीं.

दिवाली के बाद बिक्री में तेजी?
दिवाली के बाद हल्दी की बिक्री में वृद्धि होगी, ऐसा अनुमान व्यापारियों द्वारा व्यक्त किया गया है. अक्तूबर से जनवरी इन चार महीने में 20 से 25 लाख बोरे बिक्री होने की संभावना है. फिर भी इस बार के मौसम में करीबन 20 से 25 लाख बोरे हल्दी शेष रहेगी. इस दरमियान हल्दी के दाम में तेजी-मंदी होने की संभावना भी नहीं. दाम स्थिर रहने की जानकारी व्यापारियों ने दी.
देश में हल्दी की बुआई 2 लाख 75 हजार हेक्टर पर हुई थी. गत कुछ वर्षों में हवामान तेजी से बदल रहा है. अतिवृष्टि, अकाल एवं गर्म हवाओं का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते किस भाग में हल्दी की फसल का नुकसान हुआ, कौन से भाग में फसल अच्छी हुई, इसका अनुमान लगाना कठिन हो गया है. दिसंबर-जनवरी के दरमियान देश की इस फसल का क्षेत्र एवं फसलों की स्थिति सामने आयेगी. उस समय उत्पादन घटेगा या बढ़ेगा, इस बारे में अनुमान लगाना संभव है.

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