महुआ लेने जंगल गए दो लोगों की बाघ के हमले में मौत
चंद्रपुर/दि. ६ – एक परिवार के दो लोग जान जोखिम में लिए जंगल गए थे. जिस काम के लिए गए थे उसके लिए जंगल में अंदर तक जाना पड़ता है. वे जब जंगल के बिल्कुल अंदर पहुंचे तो आनेवाले खतरे से अनजान होकर अपने काम में जुट गए. जंगल में थे इसलिए दोनों सावधान तो थे, लेकिन खतरे से पूरी तरह अनजान भी थे. उन्हें इसका आभास भी नहीं हुआ कि एक जानलेवा खतरा उनके साए जितना ही उनसे करीब है. उन दोनों लोगों के ठीक पीछे, बड़े से पेड़ के नीचे एक बाघ मौके की ताक में छुप कर खड़ा था. इन दोनों ने जैसे ही झुक कर काम शुरू किया, बाघ ने इन पर अचानक हमला कर दिया. ऐसे में इनके हाथ कोई हथियार भी नहीं था. गांव में रहने वाले ये दोनों साधारण लोग कोई शिकारी तो थे नहीं कि शिकार के लिए आए थे, ये तो अपने रोजगार के लिए आए थे. ऐसे खतरे से घिर जाने के बाद ये क्या करते? अब तो जो करना था उस बाघ को ही करना था.
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के जंगल में मंगलवार सुबह 7 बजे एक बाघ के हमले में एक ही परिवार के दो लोगों की मौत हो गई. यह घटना चंद्रपुर जिले के सिंदेवाही वन क्षेत्र में हुई. मृतकों के नाम कमलाकर उंदीरवाडे और दूरवास धानू हैं.
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जान की परवाह करते तो पेट की परवाह कौन करता?
जंगल के पास पवनपार गांव की जमीन कोई खास उपजाऊ नहीं है. गांव में लोगों के पास काम नहीं है, इसलिए उन्हें पेट भरने के लिए महुआ के फूल चुनने जंगल जाना पड़ता है. महुआ के फूल को बेचकर ही गांव के कई परिवारों का पेट भरता है. ऐसा ही एक उंदीरवाडे परिवार है. रोज की तरह आज सुबह भी इस परिवार के दो लोग पवनपार के खैरी मार्ग से होते हुए जंगल गए थे. लेकिन मंगलवार के दिन ही ऐसा अमंगल हो जाएगा, इसका उन्हें अंदाज़ भी नहीं था. जंगल में भूखे बाघ को शिकार का इंतज़ार था. बदकिस्मती से ये दोनों उस बाघ के पंजों के नीचे आ गए और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी.
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गांव में दहशत का माहौल
इस घटना के बाद गांव में दहशत है. हर दिन, हर पल सामने एक जानलेवा मुसीबत है. इनका गांव जंगल के करीब है. जंगल गए बिना पेट का गुजारा नहीं है. जंगल में कब बाघ आ जाए इसका कोई अंदाज़ा नहीं है. बेहिसाब कटाई से वन क्षेत्र लगातार कम होते जा रहे हैं और शिकारियों के अवैध शिकार से बाघ भी उसी तादाद में खत्म होते जा रहे हैं. बचे हुए बाघों के लिए जंगल में खाना नसीब नहीं है. वे शिकार की तलाश में गांव तक पहुंच रहे हैं. दूसरी तरफ गांव में रोजगार नहीं है इसलिए गांववाले रोजी-रोटी की जुगाड़ में जंगल तक पहुंच रहे हैं. ऐसे में कभी-कभी बाघ और इंसान आमने-सामने आ जाते हैं और ऐसी घटनाएं हो जाती हैं.