महाराष्ट्रमुख्य समाचार

ढाई दिन की सरकार को हुए दो वर्ष पूरे

फडणवीस व अजीत पवार ने हाथ मिलाकर बनाई थी सरकार

मुंबई/दि.23- दो वर्ष पूर्व 23 नवंबर 2019 को मुंबई स्थित राजभवन में सुबह-सुबह भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और राकांपा नेता अजीत पवार ने आपस में हाथ मिलाकर राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया था और मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के तौर पर बाकायदा शपथ भी ली थी. किंतु भाजपा व राकांपा की युतीवाली यह सरकार केवल ढाई दिन ही चल पायी. जिसे लेकर उस समय लंबे वक्त तक चर्चाएं चलती रही और आज दो वर्ष बीत जाने के बावजूद ढाई दिन का कार्यकाल रहनेवाली उस सरकार को लेकर चर्चाएं की जाती है.
बता दें कि, वर्ष 2019 के अक्तूबर माह में राज्य विधानसभा का चुनाव हुआ था, जो भाजपा व शिवसेना ने युती के तौर पर तथा कांग्रेस व राकांपा ने आघाडी के तौर पर लडा था. इसमें भाजपा-सेना युती को आघाडी की तुलना में अधिक सीटें मिली थी. लेकिन सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत के लिए जादूई आंकडा छुने हेतु 14 विधायक कम पड रहे थे. ऐसे समय शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा पेश करते हुए भाजपा के समक्ष ढाई-ढाई वर्ष के मुख्यमंत्री को लेकर शर्त रख दी थी. जहां से दोनों ही दलों में खटास और दूरियां बढने लगी. उस समय शिवसेना द्वारा कांग्रेस व राकांपा के साथ नजदिकियां बढाई जा रही थी. ऐसे में मौके की नजाकत को भांपते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राकांपा में नंबर 2 की पोजीशन पर रहनेवाले अजीत पवार के साथ गुपचूप तरीके से हाथ मिलाया था और 23 नवंबर 2019 को तडके राजभवन पहुंचकर राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया था. जिसके बाद राज्यपाल कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री तथा अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी. सुबह-सुबह हुए इस पदग्रहण समारोह की जानकारी सामने आते ही देश की राजनीति में भूचाल आ गया था. हालांंकि बाद में यह सरकार महज ढाई दिन का ही कार्यकाल पूर्ण कर पायी और अजीत पवार एक बार फिर अपने बागी तेवर छोडकर राकांपा में वापिस लौट गये. पश्चात राकांपा, कांग्रेस व शिवसेना का समावेश रहनेवाली महाविकास आघाडी सरकार अस्तित्व में आयी. जिसमें अजीत पवार ने एक बार फिर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस अल्पजीवी सरकार के लिए देवेंद्र फडणवीस को काफी आलोचनाओं का सामना करना पडा. जिसका शल्य आज भी उनके दिल में है और एक आमसभा के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने उस शपथ ग्रहण को अपने राजनीतिक जीवन की बडी भूल बताया है.

Related Articles

Back to top button