उध्दव ठाकरे ने अब तक नहीं दिया विधायक पद से इस्तीफा
विधान परिषद का नेता प्रतिपक्ष पद मिल सकता है शिवसेना को
मुंबई/दि.30- मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा उध्दव ठाकरे द्वारा विगत 29 जून को की गई थी. किंतु अब पता चला है कि, उध्दव ठाकरे द्वारा अब तक अपने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया गया है. ऐसे में विधान परिषद का नेता प्रतिपक्ष पद अब भी शिवसेना के हिस्से में जाने की उम्मीदें बनी हुई है.
विधान भवन के अधिकृत सुत्रों के मुताबिक चूंकि उध्दव ठाकरे ने अब तक अधिकृत रूप से अपने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है. ऐसे में वे अब भी विधायक है. नियमानुसार सदन के किसी भी सदस्य को अपने पद का इस्तीफा सदन के सभापति के पास सौंपना होता है. लेकिन विधान परिषद के तत्कालीन सभापति रामराजे निंबालकर का कार्यकाल 7 जुलाई को ही खत्म हो गया है और फिलहाल इस पद की जिम्मेदारी उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे के पास है. जिनके पास अब तक उध्दव ठाकरे का विधायक पद से इस्तीफा देने संबंधी कोई भी पत्र नहीं पहुंचा है.
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक संभवत: विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद शिवसेना को ही मिले, इस बात के मद्देनजर उध्दव ठाकरे को विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने से रोका गया होगा. बता दें कि, विधान परिषद में शिवसेना के 12 सदस्य है. वहीं कांग्रेस व राकांपा के 10-10 सदस्य है. महाविकास आघाडी के तहत विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष पद राष्ट्रवादी कांग्रेस को दिया गया है और राकांपा से विधानसभा के सदस्य रहनेवाले अजीत पवार के हिस्से में यह पद गया है. ऐसे में अब विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष पद हेतु शिवसेना व कांग्रेस की ओर से दावा रहेगा और कांग्रेस के नेताओं ने अपनी यह इच्छा बाकायदा बोलकर भी दिखाई है. लेकिन चूंकि महाविकास आघाडी के तहत 12 सदस्यों के साथ पक्षिय बलाबल में शिवसेना का पलडा भारी है. ऐसे में इस पद पर शिवसेना की ओर से दावा किया जा सकता है.
* अलग गुट के लिए चाहिए आठ सदस्य
– शिवसेना के पूर्व विधायक गोपीकिशन बाजोरिया के बेटे विप्लव बाजोरिया इस समय शिवसेना से विधान परिषद के सदस्य है और बाजोरिया पिता-पुत्र शिंदे गुट के साथ है. लेकिन तकनीकी रूप से विधान परिषद में विप्लव बाजोरिया अब भी ठाकरे गुट में ही है.
– चूंकि विधान परिषद में शिवसेना के 12 विधायक है. जिसमें से जब तक दो-तिहाई यानी 8 सदस्यों द्वारा बगावत नहीं की जाती, तब तक विधान परिषद में किसी नये गुट को मान्यता नहीं मिल सकती.
– इन 12 विधायकों पर यदि नजर डाली जाये, तो बाजोरिया को छोडकर अन्य सभी विधायक ठाकरे गुट के साथ ही दिखाई दे रहे है. ऐसे में बाजोरिया के अलावा और 7 विधायक शिंदे गुट के पाले में हो पायेंगे. ऐसी फिलहाल कोई संभावना नहीं है.
– नियम के अनुसार जिस विपक्षी दल के पास सदस्य संख्या अधिक है, उसे नेता प्रतिपक्ष का पद मिलता है. ऐसे में फिलहाल यह पद शिवसेना को मिलने की संभावना काफी अधिक है. लेकिन आगे चलकर यह पद किसी भी स्थिति में शिवसेना को नहीं मिलने देने हेतु मुख्यमंत्री शिंदे व भाजपा द्वारा कोई अलग चाल चली जा सकती है.
विधान परिषद में पक्षीय बलाबल
कुल सदस्य संख्या – 72
भाजपा – 24
शिवसेना – 12
कांग्रेस – 10
राकांपा – 10
निर्दलीय – 4
शेकाप, लोकभारती व रासप – 1-1
रिक्त – 15
राज्यपाल नियुक्त 12 सदस्यों की सीटें भी है रिक्त
सोलापुर, अहमदनगर व ठाणे स्वायत्त निकायों की सीटें रिक्त है.