महाराष्ट्रयवतमाल

यवतमाल-वाशिम में जली उद्धव की ‘मशाल’

संजय देशमुख जीते, शिंदे गुट की राजश्री पाटिल पराजीत

यवतमाल/दि.6– विगत 25 वर्षों से शिवसेना का अभेद किले के तौर पर यवतमाल-वाशिम संसदीय क्षेत्र की पहचान रही. हालांकि दो वर्ष पहले शिवसेना में हुई दोफाड के बाद इस क्षेत्र का 5 बार प्रतिनिधित्व कर चुकी सांसद भावना गवली ने सीएम शिंदे के नेतृत्ववाली शिवसेना में प्रवेश कर लिया था. जिसके चलते इस सीट को हर हाल में जीतने की जिद उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली शिवसेना ने पकड ली थी. वहीं दूसरी ओर शिंदे गुट वाली शिवसेना के मुखिया और राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी इस सीट को बेहद प्रतिष्ठापूर्ण बना लिया था. लेकिन महायुति ने इस संसदीय सीट पर 5 बार सांसद रह चुकी और बगावत के समय शिंदे गुट का साथ देने वाली भावना गवली की टिकट को ऐन समय पर काटते हुए राजश्री पाटिल को अपना प्रत्याशी बनाया. वहीं दूसरी ओर महाविकास आघाडी की ओर से शिवसेना उबाठा ने संजय देशमुख पर दाव खेला. जिन्होंने 94 हजार 473 वोटों से जीत हासिल की. जिसके चलते यवतमाल-वाशिम संसदीय क्षेत्र एक बार फिर उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाले शिवसेना के कब्जे में रहा. विशेष उल्लेखनीय है कि, इस संसदीय क्षेत्र में इस बार शिवसेना के ही दोनों गुटों में जीत के लिए संघर्ष हुआ. वहीं वंचित बहुजन आघाडी के प्रत्याशी का नामांकन पडताल के दौरान खारिज हो जाने के चलते यहां पर शिवसेना के दोनों गुटों के बीच सीधी टक्कर हुई और वोटों का विभाजन नहीं होने के कारण महाविकास आघाडी को मिला. खास बात यह रही कि, मविआ प्रत्याशी संजय देशमुख ने मतगणना के पहले राउंड से ही बढत बनाये रखी थी. जो अंत तक कायम रही और मतगणना पूरी होने के बाद मविआ प्रत्याशी संजय देशमुख को 5 लाख 94 हजार 807 वोट मिले. वहीं महायुति प्रत्याशी राजश्री पाटिल 5 लाख 334 वोट हासिल करते हुए दूसरे स्थान पर रही. जिसके चलते 94 हजार 473 वोटों की लीड से संजय देशमुख विजेता घोषित किये गये.

* क्या हुआ था वर्ष 2019 में?
– वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना प्रत्याशी भावना गवली 5 लाख 40 हजार 104 वोट लेकर विजयी घोषित हुई थी.
– वहीं उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी माणिकराव ठाकरे ने दूसरे स्थान पर रहते हुए 4 लाख 22 हजार 417 वोट हासिल किये थे.
– इसके अलावा वंचित बहुजन आघाडी के प्रवीण गोविंद पवार ने 94 हजार 228 वोट झटके थे, जबकि इस बार के चुनाव में वंचित बहुजन आघाडी का प्रत्याशी ही खडा नहीं हो पाया था.

* मविआ की जीत के कारण
– महाविकास आघाडी में शामिल कांग्रेस, राकांपा शरद पवार गुट व शिवसेना उबाठा ने पूरी एकजुटता के साथ यह चुनाव लडा.
– वंचित आघाडी का प्रत्याशी मैदान में नहीं रहने के चलते वोटों का विभाजन नहीं हुआ. जिसका सीधा फायदा महाविकास आघाडी के संजय देशमुख को मिला.

– यवतमाल-वाशिम निर्वाचन क्षेत्र में उद्धव ठाकरे के साथ-साथ शरद पवार के प्रति विशेष तरह की सहानुभूति भी दिखाई दी. यह बात भी इस निर्वाचन क्षेत्र में मविआ प्रत्याशी संजय देशमुख के लिए फायदेमंद रही.
– मविआ प्रत्याशी के तौर पर संजय देशमुख ने करीब 6 माह पहले से ही अपने प्रचार व जनसंपर्क का अभियान शुरु कर दिया था. इस बार का उन्हें निश्चित तौर पर फायदा मिला.

– सबसे बडी बात यह रही कि, मविआ प्रत्याशी संजय देशमुख मूलत: यवतमाल जिले के ही निवासी है और राजश्री पाटिल नांदेड से वास्ता रखती है. यह भी चुनाव प्रचार का मुद्दा बना और इस बात का फायदा भी मविआ प्रत्याशी संजय देशमुख को मिला.

* महायुति की हार के कारण
– महायुति की ओर से नामांकन दाखिल करने के अंतिम समय पर राजश्री पाटिल को प्रत्याशी घोषित किया गया. जिसके चलते राजश्री पाटिल को दो जिलों में फैले इस संसदीय क्षेत्र में अपना प्रचार करने हेतु पर्याप्त समय ही नहीं मिला.
– चूंकि राजश्री पाटिल मूलत: नांदेड जिले से वास्ता रखती है, ऐसे में उन्हें बाहरी व आयातित प्रत्याशी माना गया. साथ ही वे स्थानीय मतदाताओं के साथ जुडाव स्थापित नहीं कर पायी.
– पांच बार इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुकी सांसद भावना गवली का ऐन समय पर टिकट काट दिये जाने के चलते भावना गवली सहित उनके समर्थकों में अच्छी खासी नाराजगी थी तथा महायुति में रहने के बावजूद भी भावना गवली ने प्रचार में कोई खास हिस्सा नहीं लिया.

* चुनाव में ऐसी रही स्थिति
कुल प्रत्याशी – 17
कुल मतदाता – 19,22,484
प्रत्यक्ष मतदान – 12,20,166
मतदान का प्रतिशत – 61.09%
संजय देशमुख (शिवसेना उबाठा) – 5,94,807
राजश्री पाटिल (शिवसेना शिंदे) – 5,00,334
वोटों की लीड – 94,473

* मोदी की गारंटी भी नहीं आयी काम
विशेष उल्लेखनीय है कि, यवतमाल जिले में 3 संसदीय क्षेत्रों का समावेश होता है. जिसके चलते यवतमाल-वाशिम संसदीय क्षेत्र से शिवसेना उबाठा के संजय देशमुख विजयी हुए. जिले के वणी व आर्णी विधानसभा क्षेत्र का समावेश रहने वाले चंद्रपुर संसदीय सीट से कांग्रेस की प्रतिभा धानोरकर विजयी हुई. वहीं जिले के उमरखेड विधानसभा क्षेत्र का समावेश रहने वाले हिंगोली संसदीय क्षेत्र से शिवसेना उबाठा के नागेश पाटिल आष्टीकर ने चुनाव जीता. जबकि यवतमाल में 27 फरवरी को पीएम मोदी की सभा हुई थी और अपनी इसी सभा में पीएम मोदी ने पहली बार ‘अबकी बार 400 पार’ की घोषणा की थी.
जिसके चलते महायुति के प्रत्याशियों को भले ही ‘मोदी की गारंटी’ पर भरोसा था. लेकिन कपास और सोयाबीन को भाव नहीं मिलने और यवतमाल जिले में किसान आत्महत्या बढने के चलते ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं ने सरकार को लेकर काफी रोष था. जिसका नतीजा महायुति प्रत्याशियों की हार के तौर पर सामने आया है.

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