बाल झडने पर फंगस प्रतिबंधक दवाई का प्रयोग सफल
बुलढाणा /दि.29– जिले के शेगांव तहसील के कई गांवों में अचानक बाल झडकर पूरी तरह से चाटी साफ हो जाने वाली बीमारी पर फफुंद प्रतिबंधक दवाई की मात्रा असरकारक साबित हुई है तथा चाटी साफ हो चुके लोगों को नये सिरे से बाल आने शुरु हो गये. परंतु विविध जांच रिपोर्ट में अब तक इस बीमारी का कोई निदान नहीं हो पाया है.
बता दें कि, केंद्रीय आयुष आरोग्य व परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव का निर्वाचन क्षेत्र रहने वाले बुलढाणा जिले के 12 से अधिक गांवों में लगभग 222 लोगों के बाल अचानक पूरी तरह से गल गये और कई महिलाएं व पुरुष महज 2-3 दिन के भीतर पूरी तरह से टकले हो गये. इस खबर को लेकर पूरे देशभर में अच्छा खासा हंगामा मचा. जिसके बाद भारतीय वैद्यकीय संशोधन परिसर (आईसीएमआर), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था (दिल्ली), क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्था (नागपुर), होमियोपैथी संशोधन संस्था (मुंबई), सिद्ध सायंस अकादमी (चेन्नई) व युनानी चिकित्सा संस्था (मुंबई) के विशेषज्ञों की टीम ने संबंधित गांवों के नागरिकों को ऐलोपैथी के साथ ही अन्य चिकित्सा पद्धतियों की दवाएं दी. जिसके तहत नागपुर की क्षेत्रीय आयुर्वेद संस्था ने करीब पांच गांव के मरीजों को आयुर्वेदिक दवाएं दी. जिसमें से फुफुंद यानि फंगस प्रतिबंधक दवाओं का प्रयोग पूरी तरह से सफल साबित हुए. जिसके चलते टकला हो चुके करीब 100 नागरिकों के सिर पर दोबारा बाल उगने शुरु हो गये है.
इसी बीच अकोला के सरकारी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की प्रयोगशाला में झडे हुए बालों व बायप्सी की रिपोर्ट भी तैयार हो चुकी है. परंतु इस रिपोर्ट के मुताबिक मरीजों के बालों में फंगस के जंतू पाये ही नहीं गये.
* नागपुर एम्स के विशेषज्ञों की टीम सोमवार 27 जनवरी को ंसबंधित गांवों में गई थी. जिसके द्वारा मरीजों के सैम्पल लेने के साथ ही 22 नये मरीजों को दवा दी गई.
– डॉ. प्रशांत तांगडे,
जिला स्वास्थ्य अधिकारी, बुलढाणा.
* गले हुए केश सहित मरीजों की त्वचा के सैम्पलों को प्रयोगशाला में जांचने के बाद उनमें फंगस के जंतू नहीं पाये गये. ऐसे में इस बीमारी की वजहों को खोजा जा रहा है. साथ ही फंगस प्रतिबंधक दवाई देने पर कई मरीजों के बाल दोबारा उग रहे है.
– प्रा. डॉ. रचना लौल,
त्वचा रोग विभाग प्रमुख,
शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय, अकोला.
* बाल झडने की शिकायत व समस्या रहने वाले मरीजों को आयुर्वेदीक पद्धति वाली फंगस प्रतिबंधक औषधी देने का लाभ दिखाई दे रहा है. जल्द ही इस बीमारी को लेकर और भी अधिक अध्ययन किया जाएगा.
– मिलिंद सूर्यवंशी,
सहायक संचालक,
क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंध