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पुणे की कैंटीन में 36 रुपए महीना सैलेरी पर काम करते थे

सैंडविच बेचते हुए लगाया था आज़ादी का नारा और पहुंचे जेल

मुंबई/दि. 7 – ट्रैजेडी किंग के नाम से मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार सुबह मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में निधन हो गया है. दिलीप कुमार 98 साल के थे और काफी लंबे समय से बीमार भी चल रहे थे. 65 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले दिलीप कुमार मशहूर होने से पहले बेहद गरीब परिवार से संबंध रखते थे. दिलीप कुमार का बचपन बेहद तंगहाली में गुजरा था और एक कैंटीन में काम कर उन्हें गुजारा करना पड़ता था.
दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर में हुआ था जो उस वक़्त भारत में ही था. दिलीप कुमार कुल 12 भाई-बहन थे और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी काफी खराब थी. काम की तलाश में दिलीप कुमार के पिता पेशावर से मुंबई आ गए थे. हालांकि मुंबई में काम न मिलने के चलते और परिवार से अनबन होने के बाद दिलीप कुमार पुणे चले गए थे. पुणे में वे एक ब्रिटिश आर्मी कैंटीन में असिस्टेंट का काम करते थे. इस नौकरी के लिए उन्हें महज 36 रुपए महीना पगार मिलती थी.

  • सैंडविच बेचना शुरू किया

65 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले दिलीप कुमार ने इस कैंटीन में काम करने के दौरान ही अपना सैंडविच काउंटर खोल लिया था. उनके सैंडविच अंग्रेज सैनिकों के बीच काफी लोकप्रिय थे. हालांकि इसी काम के दौरान उन्होंने भारत की आजादी के समर्थन में अंग्रेज सैनिकों के सामने नारेबाजी कर दी थी, जिसके बाद उनका काम बंद हो गया और उन्हें जेल भी जाना पड़ा. रिहा होने के बाद वे मुंबई आ गए और पिता के साथ ही उनके काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. दिलीप कुमार ने तकिये बेचने का काम भी किया था लेकिन ये भी सफल नहीं रहा.
ये तो सभी जानते हैं कि दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था, लेकिन ये क्यों बदला गया इसकी कहानी काफी कम लोग जानते हैं. बॉम्बे टॉकिज की मालकिन देविका रानी ने दिलीप कुमार को फिल्मों में काम करने का ऑफर दिया था लेकिन उनके पिता को ये बिलकुल पसंद नहीं था. इसलिए उन्होंने पिता के डर से ही उन्होंने नाम बदल लिया था. उन्हें नाम बदलने की सलाह देविका रानी ने ही दी थी.

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