महाराष्ट्र

वझे को न बनाया जाए सरकारी गवाह

सीआईडी ने किया पूरजोर विरोध

* 19 जून को मामले की अगली सुनवाई
* ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत का मामला
मुंबई/दि.23– 2003 में ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत के मामले में राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने मंगलवार को मुंबई पुलिस के बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वझे को सरकारी गवाह बनाने का विरोध किया. वझे ने सेशन कोर्ट में याचिका दायर कर मामले में सरकारी गवाह बनाने की मांग की थी. इस मामले में वझे समेत चार पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है. वझे एंटीलिया बम कांड आर मनसुख हिरेन हत्या मामले में जेल में बंद है.

अतिरिक्त न्यायाधीश सचिन पवार के समक्ष दायर हस्तलिखित याचिका में वझे ने कहा कि, उन्हें ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत के मामले में कभी गिरफ्तार नहीं किया गया. अभियोजन पक्ष ने कहीं भी नहीं कहा कि, वह कथित हत्या में शामिल था, न ही यूनुस के शव की पहचान की गई है.

वझे ने अदालत से अपना बयान दर्ज करने का अनुरोध किया था. जिसमें उन्होंने मामले के तथ्यों का पूर्ण और सच्चा खुलासा करने का दावा किया है. मंगलवार को सीआईडी ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर वझे के सरकारी गवाह बनाने का विरोध किया. अदालत ने 19 जून को मामले की सुनवाई रखी है.

* क्या है मामला
सॉफ्टवेयर इंजीनियर ख्वाजा यूनुस को दिसंबर 2002 में घाटकोपर में हुए बम विस्फोट के बाद हिरासत में लिया गया था और उसे जांच हेतु छत्रपति संभाजीनगर (तब औरंगाबाद) ले जाया जा रहा था. लेकिन अहमदनगर जिले में पुलिस का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था तथा इस दौरान ख्वाजा यूनुस कथित तौर पर पुलिस हिरासत से भाग निकला था. जिसक बाद में कभी कोई पता नहीं चला. ऐसे में यह आरोप लगाया गया कि, ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत के दौरान मौत हो गई थी तथा पुलिस अधिकारियों ने उसके शव को ठिकाने लगा दिया था. इस मामले में सीआईडी ने चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करते हुए जांच शुरु की थी. ख्वाजा यूनुस मामले में नामजद किए गए चार अधिकारियों में सचिन वझे का भी समावेश था.

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