ग्रीष्मकाल में पानी का सेवन आवश्यक
हलके आहार और रस के फलो पर जोर देने की विशेषज्ञो की सलाह
अमरावती /दि. 7– कडी धूप से नागरिक परेशान हो गए है. दिनोंदिन बढते तापमान के कारण बाहर निकलने वाले नागरिक पसीना छोड रहे है. शरीर से भारी मात्रा में पानी छुटने से डी-हायड्रेशन की परेशानी होती है. साथ ही त्वचा में जलन और त्वचारोग बढने की संभावना बनी रहती है. इस कारण बार-बार पानी पिना, रस के फल खाना, आहार में हरी सब्जी का सेवन करना आवश्यक रहने की सलाह विशेषज्ञ दे रहे है. ग्रीष्मकाल आने पर अनेको को डी-हायड्रेशन, त्वचा काली पडना और फंगल इंफेक्शन जैसी बीमारी होती है. लेकिन उष्णता का सामना करने के लिए कुछ बातो की तरह ध्यान देना आवश्यक रहता है.
चेहरे और त्वचा को अच्छा रखने के लिए नींद जरुरी है. साथ ही भरपुर पानी का सेवन करना, हलका आहार, फलो का रस, छांछ, नारियल पानी और हर दिन के खाने में सब्जी का अधिक से अधिक समावेश रहना आवश्यक है. साथ ही आवश्यकता के मुताबिक ओआरएस का इस्तेमाल किया तो डी-हायड्रेशन की तकलीफ कम होने में सहायता होती है. ग्रीष्मकाल में दिन में दो दफा स्नान करना, घर से बाहर निकलने के पूर्व चेहरे पर दुपट्टा बांधना, आवश्यकता पडने पर चेहरे पर बर्फ घसने तथा चेहरे पर और आंखो पर स्वच्छ पानी का छिडकाव करना चाहिए. चेहरा साफ करते समय स्क्रबर का इस्तेमाल करना चाहिए, ऐसा विशेषज्ञो का कहना है.
* सूती कपडो का करे इस्तेमाल
ग्रीष्मकाल में सूती कपडो का इस्तेमाल अच्छा रहता है. बाहर जाते समय छत्री, दुपट्टा अथवा टोपी का इस्तेमाल करना अच्छा साबित होता है. आंखो के आसपास की त्वचा चेहरे की अन्य त्वचा की तुलना में नाजूक रहती है. इस कारण ग्रीष्मकाल में बाहर जाते समय गॉगल्स का इस्तेमाल करना चाहिए.
* फंगल इंफेक्शन का बडा खतरा
उष्णता के कारण गहरे रंग के कपडे एक-दूसरे से होनेवाले संसर्ग और उमस वातावरण के कारण फंगल इंफेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है. ऐसे समय अपने दिल से दवाई लेना टाले. स्टेरॉईड रही दवाई का सेवन न करे. इस बीमारी की तरफ अनदेखी न करते हुए जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाकर उपचार लेने का आवाहन जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग ने किया है.