अमरावतीमहाराष्ट्र

भूकंप के झटके से कुएं में फूटे झरने

सूखे कुओं में भरने लगा पानी, भूवैज्ञानिकों ने की पुष्टि

अमरावती/दि.17 – जिले के पथ्रोट खेत परिसर क्रमांक 1 व 2 में स्थित कई सूखें कुओं में पानी के झरने फूट पडे है और इन सूखे कुओं में पानी भरने लगा है. जिससे क्षेत्र के किसानों को राहत मिलती नजर आ रही है. इस संदर्भ में भूवैज्ञानिकों का मानना है कि, 30 सितंबर 2024 को महसूस हुए भूकंप के झटकों की वजह से सूखे कुओं की तलहटी में दरारे पडी और कुओं में पानी के झरने फूट पडे. जिससे सूखे कुओं में पानी भरना शुरु हो गया.
विगत कुछ वर्षों से पथ्रोट भाग-1 स्थित पार्डी रोड व भाग-2 स्थित शिंदी रोड के परिसर में सिंचाई हेतु खेतो में स्थित पुराने कुओं का जलस्तर काफी नीचे चला गया था और ज्यादातर कुएं सूख गए थे. जिसके चलते क्षेत्र के किसानों ने फसलों की सिंचाई हेतु पानी की सुविधा के लिए अपने खेतो में ट्यूबवेल लगवा दिए थे. परंतु आगे चलकर भूगर्भिय जलस्तर के और भी नीचे चले जाने की वजह से ट्यूबवेल भी सूखे पड गए. जिसके चलते किसानों को असिंचित फसलों पर ही निर्भर रहना पड रहा था. ऐसे में भाग क्रमांक 1 व 2 के खेत परिसर की पहचान बिना पानीवाले जंगल के तौर पर होने लगी थी. साथ ही इस परिसर में जमीन के दाम भी गिरने लगे थे, परंतु विगत दो माह से इस खेत परिसर के खेतो में स्थित सूखे कुओं में अचानक ही झरने फूट पडे है और इन कुओं में पानी भी भरने लगा है. जिसे देखकर किसानों के चेहरों पर जबरदस्त खुशी की लहर दिखाई दे रही है. साथ ही अब किसानों ने अपने कुओं में पानी की मोटर डालकर उसका प्रयोग सिंचाई के लिए करना शुरु कर दिया है और अब रोजाना 7 से 8 घंटो तक पानी उपलब्ध होने के चलते फसलों को नवसंजीवनी भी मिल रही है.
कई वर्षों के बाद अचानक घटित हुई इस घटना की कारणमिमांसा किए जाने पर पता चला कि, विगत सितंबर माह के दौरान इस परिसर में महसूस हुए भूकंप के झटकों की वजह से यह कमाल घटित हुआ है. जिसके चलते कुओं की तलहटी में भूकंप की वजह से दरारे बन गई और कुओं में भूगर्भिय जल के आने का रास्ता खुल गया. जिससे अब इस परिसर के सभी सूखे कुएं लबालब भरे हुए दिखाई दे रहे है.

* 30 सितंबर को आया था भूकंप
बता दें कि, 30 सितंबर 2024 को दोपहर 1.40 बजे पथ्रोट क्षेत्र में अचानक ही भूकंप के झटके महसूस किए गए थे और भूकंप का केंद्र मेलघाट में रहने की बात कही गई थी. जिसके बारे में जानकारी देते हुए भूगर्भशास्त्रीय दीपक गावंडे ने बताया कि, जिस समय जमीन के भीतर भूगर्भ में कोई हलचल होती है तब उपर भले ही भूकंप के सौम्य झटके महसूस होते हो, परंतु जमीन के भीतर भूकंप के केंद्र पानी इपीक सेंटर के 250 फीट की गहराई तक भूकंप के जबरदस्त झटके महसूस होते है और मजबूत चट्टानों के बीच फ्रैक्चर होकर फ्रैक्चर झोन में कैविटी यानी दरारे तैयार होती है. ऐसे में भूगर्भीय जल के लिए नया रास्ता उपलब्ध होता है और ऐसे समय सूखे पडे कुओं के निर्जीव झरने सजीव होकर ऐसे कुओं में पानी भरना शुरु हो जाता है.

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