‘लाडले दिव्यांग बनने हम भी है तैयार’….
स्वास्थ्य बीमा कवच के लिए लाभार्थियों का संघर्ष जारी
* सरकार से लगा रहे गुहार
पुणे/दि.3-हमें स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद जरूरत होती है, फिरभी निजी बीमा कंपनी स्वास्थ्य बीमा का कवच नहीं देती. केंद्र का लाखों का बीमा है, लेकिन इसमें सभी प्रवर्गों का समावेश नहीं. एक ओर सरकार लाडली बहनों को प्रतिमाह 1500 रुपए दे रही है, लाडला भाई योजना द्वारा युवाओं को सुविधा दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर दिव्यांगों को स्वास्थ्य बीमा कवच के लिए संघर्ष जारी रखना पड रहा है. सरकार की तरफ से सुविधाओं का लाभ मिलने के लिए हम भी लाडले दिव्यांग बनने के लिए तैयार है, परंतु सरकार ऐसा करने तैयार नहीं, ऐसी प्रतिक्रिया दिव्यांग लाभार्थियों ने अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिन पर व्यक्त की.
हर साल 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है, किंतु सरकार को इसी दिन दिव्यांगों का स्मरण होता है, यह आरोप दिव्यांग संगठनों ने किया है. राज्य में 2011 में जनगणना हुई. उस दौरान दिव्यांगों के सात प्रवर्ग थे. उनकी संख्या 29 लाख 63 हजार है. विगत 14 वर्षों में यह संख्या दोगुनी होने की संभावना व्यक्त की गई. इसी बीच केंद्र सरकार ने दिव्यांगों के और भी प्रवर्ग बढाए. और इसके अनुसार यह संख्या 1 करोड से अधिक होने की संभावना है.
वर्तमान में दिव्यांगों के लिए राष्ट्रीय न्यास बीमा योजना (नैशनल ट्रस्ट बीमा) है. इसकी सीमा केवल 1 लाख है. वह कैशलेस नहीं. उपचारक लिए पहले खर्च कर इसके बाद उपचार का बिल प्रस्तुत करना पडता है. इतनाही नहीं तो, इसमें केवल बौद्धिक अक्षम, सेरेबल पाल्सी, मतिमंदता और विकलांगता अधिक रहने वाले केवल चार प्रवर्गों को ही बीमा मिलता है. जबकि दिव्यांग अधिनियम 2016 के कानून अनुसार दिव्यांगों में और भी 17 प्रवर्गों का समावेश किया गया, परंतु इन 17 प्रवर्गों के लिए कोई बीमा नहीं. उन्हें भी बीमा मिलें, यह मांग दिव्यांग लाभार्थियों द्वारा की जा रही है. इसके अनुसार तत्कालीन दिव्यांग कल्याण आयुक्त ओमप्रकाश देशमुख ने उर्वरित दिव्यांगों के लिए महाराष्ट्र निरामय आरोग्य बीमा योजना का प्रारूप तैयार किया है. इस प्रारूप को मंजूरी के लिए राज्य सरकार को पिछले साल ही भेजा है. इस पर मंत्रिमंडल की मुहर अब तक नहीं लगी लगने से दिव्यांग लाभार्थियों में नाराजगी व्याप्त है.
राष्ट्रीय न्यास बीमा योजना अपूर्ण है. नए प्रवर्गों का समावेश कर जो नई बीमा योजना तैयार की है, वह अब तक मंजूर नहीं हुई. पहले से ही शुरु निजी बीमा कंपनियां दिव्यांगों को बीमा कवच नहीं देती. इसलिए सभी दिव्यांग लाभार्थियों को बीमा कवच देने वाली योजना राज्य के मंत्रिमंडल में जल्द से जल्द मंजूर होना चाहिए.
-हरिदास शिंदे, अध्यक्ष,
संयुक्त दिव्यांग अधिकार समिति