हम शर्मिंदा है… अत्याचार बाबत इतनी असंवेदनशीलता किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं दिखाई
विधायक यशोमती ठाकुर ने कहा कि वह व्यथित हैं
मुंबई/ दि. 24- मणिपुर घटना के बाद देश में तीव्र असंतोष का वातावरण रहते सरकार ने उसे उचित तरीके से नहीं निपटाया, ऐसा आरोप विधायक यशोमती ठाकुर ने किया है. इस संदर्भ में उन्होंने अपनी भावना व्यक्त की. महिला अत्याचार की घटना बाबत इतनी असंवेदनशीलता आज तक किसी भी प्रधानमंत्री द्वारा न दिखाने का आरोप भी विधायक महोदया ने किया. एक महिला के रुप में, एक माँ के रुप में और एक जनप्रतिनिधि के रुप में मैं काफी व्यथित होने की बात उन्होेंने कही है.
एड. यशोमती ठाकुर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि निर्भया प्रकरण के बाद देशभर में तीव्र असंतोष व्याप्त था. उस प्रकरण को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उचित तरीके से संभाला. साथ ही उस प्रकरण की सभी संवेदनशीलता भी संभाली. फिर भी लोगों का रोष बना रहा. इस प्रकरण के बाद देशभर में प्रदर्शन हुए. कोई भी राजनीति न करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मीडिया के सामने आये. झुकी हुई नजरों से उन्होंने जनता का रोष उचित रहने का वक्तव्य किया. उसमें कही भी हम सरकार है,तुम्हें हमसे पूछने का अधिकार नहीं है, ऐसा गुरुर नहीं था और ना ही सत्ता की गुर्मी थी. देश में भयावह तरीके से एक बहन पर लैंगिक अत्याचार हुआ था, उस घटना का रोष युपीए सरकार ने घटना की गंभीरता को देखते हुए मान्य किया. आज मणिपुर घटना के बाद मनमोहन सिंह का पुराना वीडिओ वायरल हुआ और फिर से दो सरकार के बीच तुलना होने लगी.
मणिपुर घटना के बाद देश में रोष का वातावरण है. घटना घटित होने के 77 दिन बाद जनता में रोष देख पहले मीडिया के कुछ एंकर्स, फिर स्मृति इरानी ने मत व्यक्त किया. देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 77 दिन चुप्पी साधे बैठे थे. उन्हें वक्तव्य देने वातावरण बनाया गया. दूसरे दिन प्रधानमंत्री ने संसद के सामने बोलने की बजाय संसद के बाहर 30 सेकंड अपनी भावना व्यक्त की. उसमें भी मणिपुर के मुख्यमंत्री को राजधर्म सिखाने की बजाय देश के सभी मुख्यमंत्रियों को कानून व सुव्यवस्था की स्थिति संभालने की सलाह थी. प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य के बाद देशभर में निराशा फैल गई. देश के प्रधानमंत्री कितने निष्ठुर है. इस बाबत चर्चा शुरु हो गई. इस चर्चा पर लगाम कसने के लिए टुलकिट फैलाया गया. मणिपुर उल्लेख वाले पोस्ट सोशल मीडिया पर से अपने आप डिलिट होने लगे. दिल्ली के माध्यमों ने देश के महिला अत्याचार का तुलनात्मक अभ्यास शुरु किया. राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ में क्या स्थिति है, इस पर चर्चा शुरु हुई.
महिला अत्याचार की घटनाओं बाबत इतनी असंवेदनशीलता आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं दिखाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता के 9 वर्ष बाद भी अब तक विरोधी पार्टियों को ही जिम्मेदार ठहराने का तंत्र चलाया है. इसमें देश की मीडिया भी शामिल है. 77 दिन एखाद सीमावर्ती राज्य के हिंसाचार को भारत की मीडिया दबाकर रखती है, यह अनाकलनीय है. माध्यमों को सीमा नहीं होती. माध्यमों को पार्टी नहीं होती ऐसा बताया जाता है. लेकिन देश के माध्यम निष्पक्ष नहीं रहा. माध्यमों ने कांग्रेस या इंडिया का पक्ष लेना चाहिए, ऐसा हमारा कहना नहीं, लेकिन माध्यमों ने जो सत्य है, उसे तो भी दिखाना चाहिए. देश के कुछ माध्यमों ने विषय को खत्म करने के लिए आरोपी मुस्लीम होने का समाचार दिया और किसी भी प्रकार की हकीकात न करते हुए यह समाचार वायरल किया गया. पश्चात देश में फिर से एक बार तनाव निर्माण हुआ.यह सब देखकर दिल में दर्द होता है.
जनप्रतिनिधि के रुप में हमारे हाथ में जो आयुध है, उसका इस्तेमाल कर हमने महाराष्ट्र की विधानसभा में पॉइंट ऑफ इन्फर्मेशन प्रस्तुत करने का प्रयास किया. लेकिन सम्माननीय अध्यक्ष ने नियमों का हवाला देते हुए चर्चा को नकार दिया. इस देश में महिलाओं की अस्मिता के मुद्दे की चर्चा करने हेतु सभी नियम है, विरोधी पार्टी की सत्ता गिराने, विधायक खरीदने, नियमबाह्य सरकार का चयन करने, अध्यक्ष चुनने, पार्टी में फूट डालने के लिए कोई नियम नहीं. नियमों को तोड़कर अर्थसंकल्प प्रस्तुत किया जा सकता है, पूरक मांगें की जा सकती है. सभागृह चलाना आता है, लेकिन हमारी मां- बहनों की आबरु के चिथड़े उड़ाते समय हमें बोलना नहीं आता.
एक महिला के रुप में, एक मां के रुप में एवं एक जनप्रतिनिधि के रुप में मैं काफी व्यथित हूं. देश की महिलाएं न्याय के लिए कहां जाएगी. इस देश में एक सांसद महिला कुश्ती खिलाड़ी का शोषण करता है और सरकार पूरी शक्ति से उसकी सुरक्षा करती है. हाथरस में पीड़ित युवती का देह उसके परिवार को दूर रखकर जलाया जाता है. विरोधी पार्टियों की महिाल नेताओं को बाल पकड़कर खींचते हुए ले जाया जाता है, देश की महिला व बालविकास मंत्री पीड़ितों को अपराधी ठहराने के लिए प्रयासरत रहती हैं…. इस देश का यह चित्र भयानक है.
कांग्रेस शासित राज्य में महिला अत्याचार की सभी घटनाओं को दर्ज करने के आदेश है. अपराधों की संख्या उसी समय अधिक दिखाई देती है, जब प्रकरण दर्ज किये जाते हैं. भाजपा शासित राज्य महिला अत्याचार के प्रकरण दर्ज नहीं करता. पीड़ितों को सुरक्षा नहीं देता. पार्टी देखकर भूमिका ठहराई जाती है. बिल्कीस बानो प्रकरण में आरोपियों को मुक्त कर उनका सत्कार करने वाली पार्टी यह इस देश की महिलाओं की रक्षणकर्ता हो ही नहीं सकती. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असंवेदनशील हैं. वे विभाजनकारी नेता हैं. उनकी राजनीति में देश में अंतर्गत कलह निर्माण हुआ है. आंतरिक सुरक्षा धोखे में आ गई है. कांग्रेस द्वारा बार-बार इसकी चेतावनी दी गई थी, तुम द्वेष फैला रहे हो, यह द्वेष देश की प्रगति को रोकने वाला है. देशभर में आज चिंता का वातावरण है. आज मुझमें की माँ रो रही है… देशभर की लाखों माँ रो रही हैं. हमारी बेटियों का भविष्य अंधेरे में दिखाई दे रहा है. तुम्हारी राजनीति होगी… लेकिन इस देश की बेटियों की जान दांव पर न लगाए. यह देश तुम्हें माफ नहीं करेगा. इतिहास तुम्हें माफ नहीं करेगा.