महाराष्ट्र

कुपोषण व बाल मौतों को रोकने क्या कर रहे हो?

हाईकोर्ट ने पूछा सीधा व सपाट सवाल

* स्वास्थ्य संचालक से मांगा जवाब
मुंंबई- दि.14 राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कुपोषण की वजह से बच्चों की मौतें हो रही है. साथ ही कुपोषित बच्चों की संख्या भी दिनोंदिन बढ रही है, जिस पर चिंता जताते हुए मुंबई उच्च न्यायालय ने कुपोषण की वजह से होनेवाली बाल मौतों को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा कौन से उपाय किये जा रहे है, इसे लेकर स्वास्थ्य संचालक से सीधा व सपाट सवाल पूछा. साथ ही इस पर आगामी 23 सितंबर तक जवाब पेश करने का आदेश भी दिया.
कुपोषण एवं बाल मौतों के संदर्भ में हाईकोर्ट के समक्ष प्रलंबीत जनहित याचिका पर गत रोज मुख्य न्यायमूर्ति दीपाकंर दत्ता व न्यायमूर्ति मकरंद कर्णिक की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. इस अवसर पर वरिष्ठ विधिज्ञ एड. जुगलकिशोर गिल्डा ने जनहित याचिका दायर करनेवाले डॉ. राजेंद्र बरमा व डॉ. रविंद्र कोल्हे के प्रतिज्ञापत्रों को न्यायालय के समक्ष पेश करते हुए बताया कि, अमरावती जिले के आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र की धारणी तहसील में अब भी कुपोषण की वजह से बच्चों की मौतें हो रही है. इस क्षेत्र में इस समय करीब 400 बच्चे कुपोषित है. जिसमें से 150 बच्चों की स्थिति बेहद गंभीर है. यदि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिलता है, तो उनकी जान भी जा सकती है. साथ ही इस समय पूरे परिसर में मूसलाधार बारिश चल रही है और क्षेत्र के नागरिक स्वास्थ्य सुविधाओं से भी वंचित है. जिसके चलते स्थिति और भी अधिक बिगड सकती है. यह बात भी एड. गिलडा ने अदालत को बतायी. जिसे अदालत ने बेहद गंभीरता से लिया और इस संदर्भ में स्वास्थ्य संचालक को अपनी विस्तृत रिपोर्ट व जवाब पेश करने का आदेश दिया.

* कुपोषण से अब तक मौतें पूरी तरह रूकी नहीं
मई 2006 में हाईकोर्ट ने कुपोषण से होनेवाली बाल मौतों को पूरी तरह से रोकने का आदेश राज्य सरकार को दिया था. जिसके लिए राज्य सरकार को पांच साल की अवधि दी गई थी. लेकिन इसके बावजूद अब तक स्थिति में कोई समाधानकारक सुधार नहीं हुआ है. विशेष उल्लेखनीय है कि, वर्ष 1992-93 के दौरान आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र, विशेषकर धारणी तहसील में एक हजार से अधिक बच्चों की कुपोषण के चलते मौत हुई थी. जिसकी वजह से पूरे देश में हडकंप मच गया था और तब से लेकर अब तक कुपोषण की समस्या विकराल बनी हुई है.

* दूषित पानी पीने से 12 लोगों की मौत
ध्यान देने योग्य बात है कि, विगत दिनों ही मेलघाट क्षेत्र अंतर्गत दूषित पानी पीने की वजह से 12 लोगों की मौत हुई है. इस क्षेत्र के 46 गांवों को मध्यप्रदेश की विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली उपलब्ध कराई जाती है. चूंकि कोयलारी व पाचडोंगरी ग्रामपंचायतों में विद्य ुत बिल अदा नहीं करने के चलते इन दोनोें गांवों की विद्युत आपूर्ति को बंद कर दिया गया था. ऐसे में ग्रामीण जलापूर्ति योजना से होनेवाली पानी की आपूर्ति भी बंद हो गई थी और गांववासियों को मजबुरी में दूषित पानी पीना पडा. इस घटना को भी अदालत ने काफी गंभीरता से लिया है.

* नंदूरबार जिलाधीश हाजीर हो…
हाईकोर्ट द्वारा 17 अगस्त 2022 को आदेश देने के बाद भी नंदूरबार के जिलाधीश ने अपने क्षेत्र के कुपोषित बालकों, कुपोषण को रोकने हेतु किये जानेवाले उपायों आदि के बारे में रिपोर्ट पेश नहीं की. जिसके चलते हाईकोर्ट ने आदेश जारी किये है कि, नंदूरबार के जिलाधीश आगामी 23 सितंबर को दोपहर 2.30 बजे न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करे. साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि, कोअर कमेटी के सदस्य एड. बंडू साने तथा लतिका राजपुर द्वारा अदालत में पेश की गई माता व बच्चों के स्वास्थ्य की मूल्यांकन रिपोर्ट पर भी नंदूरबार के जिलाधीश द्वारा अपनी भूमिका स्पष्ट की जाये.

 

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