महाराष्ट्र

त्र्यंबकेश्वर में वीआईपी दर्शन का शुल्क निश्चित करने क्या किया?

उच्च न्यायालय की भारती पुरातन विभाग से पूछताछ

मुंबई दि.1– वीआईपी दर्शन के लिए 200 रुपए शुल्क निश्चित न किए जाए ऐसे आदेश त्र्यंबकेश्वर देवस्थान को देने के बावजूद उसकी अनदेखी की जाने से तुमने खुद ही तुम्हारे आदेश का पालन करने के लिए क्या किया, ऐसा प्रश्न उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातन विभाग से बुधवार को किया हैं.
पुरातन विभाग को दिए आदेश का पालन करने के लिए क्या किया, ऐसा सवाल मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायधीश अभय आहूजा की खंडपीठ ने पुरातन विभाग का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील राम आपटे से किया. तब आपटे ने खंडपीठ से कहा कि, उन्हें इस बाबत सूचना देनी पडेगी. वर्ष 2013 से अब तक पुरातन विभाग व्दारा त्र्यंबकेश्वर देवस्थान को वीआईपी दर्शन के लिए शुल्क निश्चित न करने पर अनेक बार पत्र व्यवहार किया गया हैं. भगवान के करीब से दर्शन लेने के लिए यह शुल्क तय किया जाता हैं. देवस्थान वीआईपी टिकट की बिक्री करते रहने बाबत उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, भारतीय पुरातन विभाग और त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट को नोटिस दी. त्र्यंबकेश्वर मंदिर प्राचीन स्मारक के रुप में घोषित किया गया हैं. इसी का अर्थ यह मंदिर पुरातन विभाग अंतर्गत आता हैं. त्र्यंबकेश्वर देवस्थान को पुरातन धरोहर का दर्जा दिया गया है और उसका व्यवस्थापन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) व्दारा किया जाता हैं. इस कारण देवस्थान को वीआईपी प्रवेश शुल्क निश्चित करने का अधिकार नहीं है, ऐसा दावा ललिता शिंदे ने दायर की याचिका में किया हैं. स्वशुल्क दर्शन देने का निर्णय लेकर देवस्थान पैसे देकर दर्शन लेने और पैसे न देकर दर्शन लेने वाले लोगों में भेदभाव कर रहा हैं. यहां भक्तगणों की लूट की जा रही हैं. इस कारण वीआईपी से दर्शन शुल्क लेना बंद करने के आदेश देवस्थान को देने की मांग याचिका व्दारा की गई हैं.

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