एक लाख एसटी कर्मी भडक गये तो क्या करोगे?
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य सरकार पर साधा निशाना
नासिक/दि.13– विगत एक माह से जारी रहनेवाली रापनि कर्मियों की हडताल के खत्म होने के कोई संकेत फिलहाल दिखाई नहीं दे रहे. जहां एक ओर हडताली कर्मचारी रापनि के सरकारी सेवा में विलीनीकरण की मांग पर अडे हुए है. वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय की ओर से गठित समिती की तरफ मामला धकेला जा रहा है. ऐसे में हडताल को लेकर गतिरोध बना हुआ है. इसी पार्श्वभुमि पर आज महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने एक बेहद महत्वपूर्ण बयान जारी करते हुए राज्य सरकार से जानना चाहा कि, यदि राज्य परिवहन निगम के एक लाख कर्मचारी अचानक भडक उठते है, तो ऐसी स्थिति में सरकार क्या करेगी?
मनसे प्रमुख राज ठाकरे के मुताबिक इस बार रापनि कर्मचारी सभी यूनियनों व संगठनों को परे रखते हुए एकजूट हुए है. ऐसे में राज्य सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए. किंतु ऐसा करने की बजाय राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब द्वारा एसटी कर्मचारियों को चेतावनी देने और धमकाने का काम किया जा रहा है. जिससे रापनि कर्मी कभी भी भडक सकते है. राज ठाकरे के मुताबिक लोगों ने जनता की भलाई के लिए महाविकास आघाडी को राज्य की सत्ता दी है. ऐसे में मुख्यमंत्री अथवा उनके प्रमुख सहयोगियों द्वारा कर्मचारियों की भावनाओं को समझते हुए उनसे बातचीत की जानी चाहिए. किंतु चार-चार माह तक वेतन से वंचित रहनेवाले कर्मचारियों को हडताल खत्म करने और काम पर लौटने के लिए निलंबन व निष्कासन की कार्रवाई करते हुए डराने-धमकाने का काम किया जा रहा है. इस समय राज ठाकरे ने यह तंज भी कसा कि, जिनके घर भ्रष्टाचार के पैसे नहीं पहुंचते है, तो वे बेचैन हो जाते है. ऐसे में बिना वेतन के एसटी कर्मचारियों की दीपावली कैसे बीती होगी, इसकी कल्पना की जानी चाहिए. जिसके बावजूद कर्मचारियों के साथ धमकी भरी भाषा का प्रयोग कैसे किया जा सकता है, यह समझ से परे है.
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने यह भी कहा कि, वे इस विषय को लेकर मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के नाम एक पत्र लिखनेवाले है और सीएम ठाकरे की तबियत ठीक हो जाने के बाद उनसे इस विषय को लेकर चर्चा भी करेंगे. राज ठाकरे के मुताबिक रापनि का निजीकरण करने की बजाय इस सेवा को बेहतरीन तरीके से चलाने हेतु किसी व्यवसायिक मैनेजमेंट कंपनी की नियुक्ति की जानी चाहिए. किंतु ऐसा करने की बजाय कर्मचारियों को उपदेश का डोज पिलाया जा रहा है. ऐसे में यदि सरकार द्वारा की जा रही अनदेखी व उपेक्षा से आहत होकर राज्य परिवहन निगम के 1 लाख कर्मचारी भडक उठते है, तो उस स्थिति में सरकार क्या करेगी.