महाराष्ट्र

सूर्यफुल तेल बाबत आत्मनिर्भर कब होंगे?

मांग बढ़ने के बावजूद देश में उत्पादन कम

पुणे/दि.20 – देश में सूर्यफुल के तेल की मांग बढ़ती जा रही है. लेकिन देश में सूर्यफुल के उत्पादन पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया. इस कारण 2021-22 वित्तीय वर्ष में लगभग 90 प्रतिशत तेल आयात करना पडा है. खाद्यतेल बाबत आत्मनिर्भर होने की घोषणा दी जाती रही तो भी निकट भविष्य में देश में उत्पादन बढ़ाकर इस आवश्यकता को पूर्ण करने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है.
अर्जेंटिना की राजधानी बुनोस आइरिस में हाल ही में हुई विश्व सूर्यफुल बीज और तेल परिषद में खाद्यतेल के सबसे बडे ग्राहक के रुप में भारतीय बाजारपेठ पर विस्तृत चर्चा हुई. देश को हर वर्ष करीबन 150 से 160 लाख टन खाद्यतेल की आवश्यकता रहती है. इसमें से 65 प्रतिशत तेल आयात करना पडता है. 2021-22 में कुल खाद्यतेल इस्तेमाल में सूर्यफुल तेल का 8.2 प्रतिशत सहभाग था. पिछले कुछ वर्ष में सूर्यफुल तेल की मांग में 8 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
* 23.8 दस लाख टन खाद्यतेल की आवश्यकता
इस बार 2023-24 वित्तीय वर्ष में देश को 23.8 दस लाख टन तेल की आवश्यकता रहेंगी, ऐसा अनुमान है. कोरोना के कारण चरमाराए बाजारपेठ में 1.5 दस लाख टन की मांग घटी थी. कोरोना के बाद मांग पूर्ववत हुई है. आगामी पांच वर्ष में सूर्यफुल तेल की मांग में तीन प्रतिशत बढ़ोतरी होने का अनुमान है. वर्ष 2027-28 तक 28 से 29 दस लाख टन तक देश को खाद्यतेल की आवश्यकता होने का अनुमान है.
* विश्व में भारत कहां?
वर्ष 2022-23 में विश्व में तेल बीज का उत्पादन 603.5 दस लाख टन तक जाने का अनुमान है. वर्ष 2021-22 में 580.3 दस लाख टन उत्पादन होने के बाद भी भारत में 40.82 दस लाख टन उत्पादन हुआ था. यह प्रमाण विश्व उत्पादन का केवल 7 प्रतिशत था. वर्ष 2021-22 के कुल तेल बीज उत्पादन में सूर्यफुल बीज का सहभाग 58.04 दस लाख टन यानि 10 प्रतिशत था. 2021-22 के विश्व खाद्य तेल उत्पादन में सूर्यफुल तेल का सहभाग 19.72 दस लाख टन यानि करीबन 8 प्रतिशत था.

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