महाराष्ट्र

प्लास्टिक के फूल प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में क्यों नही ?

मुंबई उच्च न्यायालय का केन्द्र सरकार से सवाल

मुंबई / दि. 13– मुंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को सवाल किया कि प्लास्टिक के फूलों को केन्द्र सरकार द्बारा प्रतिबंधित एकल – उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की सूची में शामिल क्यों नहीं किया गया ? मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने पूछा कि क्या केन्द्र को लगता है कि प्लास्टिक के फूलों को रिसाइकिल किया जा सकता है या वे जैविक रूप से नष्ट हो जाते हैं ?
अदालत ग्लोवर्स फ्लॉवर काउंसिल ऑफ इंडिया (जीएफसीआई) द्बारा एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में केन्द्र को प्लास्टिक के फूलों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. इस पर पीठ ने कहा क्या केन्द्र सरकार को यकीन है कि प्लास्टिक के फूलों को रिसाइकिल किया जा सकता है या वे जैविक रूप से नष्ट हो जाते हैं ? अदालत ने केन्द्र के हलफनामे का हवाला देते हुए यह सवाल पूछा. हलफनामें में कहा गया है कि फूल प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में नहीं हैं. अदालत ने याचिकाकर्ता संगठन को केन्द्र के रूख के जवाब में दो सप्ताह में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया हैं.

* केन्द्र सरकार की अधिसूचना पर याचिकाकर्ता ने क्या कहा ?
याचिका दाखिल करनेवाले संगठन जीएफसीआई ने दावा किया है कि सजावट के दौरान इस्तेमाल किए जानेवाले प्लास्टिक के फूलों की अधिकतम मोटाई आमतौर पर 30 माइक्रॉन होती है. केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार की अधिकांश अधिसूचनाओं में 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले एकल- उपयोग प्लास्टिक के सामानों का उत्पादन, भंडरान, वितरण और विक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है. इन अधिसूचनाओं में प्लास्टिक के फूलों का विशेष उल्लेख नहीं हैं. इसीलिए सरकार को 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. याचिकाकर्ता की वेबसाइट के मुताबिक जीएफसीआई एक स्वतंत्र उत्पादकों, कटे हुए फूलों और सजावटी पौधों के निर्यातकों, इनपुट आपूर्तिकर्ताओं, पुष्प विक्रेताओं, विवाह और ऐसे अन्य समारोह में सजावटी काम करनेवाले लाभार्थियों का संघ हैं.

 

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