कोरोना काल में वर्कलोड से परेशान पत्नी ने दर्ज कराई एफआईआर
हाई कोर्ट में हुआ समझौता, पत्नी की अपील पर हाईकोर्ट ने रद्द किया मामला
मुंबई/दि.26 – ‘जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी’ कहावत का उल्लेख करते हुए बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिला प्रोफेसर द्बारा डॉक्टर पति के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द कर दिया है. मामले की ऑनलाइन सुनवाई के दौरान महिला ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की खंडपीठ के समक्ष कहा कि कोरोना काल में अधिक काम के तनाव के चलते पैदा हुई गलतफहमी में मैंने मामला दर्ज कराया था. पर अब हमने आपसी सहमति से मामले को सुलझा लिया है. एक मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी की प्रोफेसर महिला ने कहा कि, उसका वैवाहिक जीवन 20 सालों का है. कोरोना के शुरुआती दिनों में काम के बेहद तनाव के चलते वैवाहिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ था. उसके पति को अस्पताल में 18 घंटे काम करना पडता था. इसलिए घरेलू हिंसा के आरोपों के तहत मैंने मामला दर्ज कराया था. महिला के पति सरकारी अस्पताल में डॉक्टर हैं. उनके दो बच्चे हैं. महिला ने कहा कि, काउंसलिंग के बाद हम अपने मतभेद सुलझाते हुए फिर से साथ रहने को राजी हुए हैं.
इस पर खंडपीठ ने कहा कि, हमें इस बात से बेहद खुश है कि, दंपत्ति ने अपने मतभेद सुलझा कर साथ में रहना तय किया है. इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि, हमारे मन में डॉक्टरों के प्रति बेहद सम्मान है. क्योंकि वे कोरोना महामारी से मुकाबला करने के लिए अपने परिवार व निजी जीवन की चिंता किए बगैर दिन-रात काम कर रहे है. इस दौरान वकील ने मामला रद्द करने के विषय में आपत्ति जाहिर करने की कोशिश की तो खंडपीठ ने वकील से कहा कि, क्या अपने यह नहीं सुना है कि, जब मिया बीवी राजी तो क्या करेगा काजी. इसके बाद खंडपीठ ने मामले से जुडी एफआईआर रद्द कर दिया.