पति के बीमा पर पहले पत्नी का ही अधिकार
वारिस का नाम न रहने से बीमा कंपनी ने ठुकराई थी सहायता
यवतमाल /दि. 23– बीमा का दावा दाखिल करते समय प्रस्ताव में परिवार के अन्य किसी भी सदस्य का समावेश न करने का कारण देते हुए बीमा कंपनी ने किसान परिवार को भरपाई देने से इंकार कर दिया था. इस प्रकरण में दाखिल किए गए प्रकरणों में यवतमाल जिला ग्राहक आयोग ने दावे की रकम देते समय पहले अधिकार पत्नी का ही रहने की बात दर्ज कर बीमा कंपनी को तत्काल भरपाई करने के आदेश दिए है.
पांढरकवडा तहसील के अकोली खुर्द के संदीप चंद्रभान बोरवार की खुनी नदी में डूबकर मृत्यु हो गई थी. उसकी पत्नी मीना बोरवार ने गोपीनाथ मुंडे किसान दुर्घटना बीमा योजना के तहत लाभ के लिए पांढरकवडा तहसील कृषि अधिकारी के पास प्रस्ताव दाखिल किया. इस विभाग ने दि युनिवर्सल सोम्पो जनरल इंशुरंस कंपनी के पास यह प्रस्ताव भेजा लेकिन इस कंपनी ने विविध कारण बताते हुए भरपाई देने से इंकार कर दिया. मीना बोरवार ने बीमा दावे का प्रस्ताव प्रस्तुत करते समय माता-पिता, भाई, बेटा, बेटी आदि के नाम दर्ज नहीं किए. इसके अलावा पक्षकार के रुप में समावेश नहीं किया, ऐसा कारण बीमा कंपनी ने देते हुए भरपाई ठुकरा दी. इस कारण उसने यवतमाल जिला ग्राहक आयोग में गुहार लगाई. आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार वाघमारे, सदस्य हेमराज ठाकुर की उपस्थिति में इस प्रकरण में सुनवाई हुई.
* किसान की मृत्यु उसकी गलती के कारण
किसान संदीप बोरवार को फिट आने की बीमारी थी. उसकी मृत्यु खुद की गलती के कारण हुई. यह घटना बीमा पॉलिसी की शर्त व नियम के मुताबिक नहीं बैठती. इस कारण बीमा प्रस्ताव ठुकराया गया. बीमा कंपनी नुकसान भरपाई देने जिम्मेदार नहीं है, ऐसी दूसरी बाजू भी कंपनी ने आयोग के सामने रखी थी. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुर्घटना के समय संदीप बोरवार की मृत्यु फिट आने से वह पानी में डूबा था, ऐसा कहीं भी दर्ज न रहने का मत आयोग ने दर्ज किया है.
* बीमा कंपनी की आपत्ति निरर्थक
बीमा की रकम देते समय किसान की पत्नी को प्राथमिकता दी जाती है. इस प्रकरण में मृतक की पत्नी द्वारा दावा दाखिल किए जाने से बीमा कंपनी द्वारा ली गई आपत्ति निरर्थक रहती है, ऐसा आयोग ने अपने फैसले में दर्ज किया है. कंपनी द्वारा मीना बोरवार को बीमे की रकम दो लाख रुपए ब्याज के साथ दी जाए. मानसिक व शारीरिक परेशानी के बदले तीन हजार रुपए भी देने के आदेश दिए गए ह