महाराष्ट्र

तलाक के बाद भी पत्नी भरण-पोषण की हकदार

नागपुर/दि. 13– घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा (पीडब्ल्यूडीवी) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने फैसला देते हुए कहा कि, तलाक के बाद भी पत्नी भरण-पोषण की हकदार है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए पति की अपराधिक पुनरीक्षण अर्जी खारिज कर दी. न्या. संदीप कुमार मोरे ने यह फैसला दिया.
पति और पत्नी का तलाक होने के बावजूद सत्र न्यायालय ने पत्नी के भरण-पोषण की प्रति माह 1500 रुपए की रकम बढाकर 3 हजार रुपए की थी. इस फैसले को पति ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुिए यह पुनरीक्षण अर्जी दायर की थी. प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी ने पत्नी को भरण-पोषण के लिए 1500 रुपए मंजूर किए थे. बाद में पत्नी ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 18, 19, 20, 21 और 22 के तहत विभिन्न अनुतोष के लिए याचिका दायर की थी. इस मामले में सेशन कोर्ट ने 27 अप्रैल 2021 को पत्नी की प्रतिमाह भरण-पोषण की रकम 1500 से 3 हजार रुपए तक बढाने का आदेश दिया था. वकीलों ने रखीं दलीलें इस मामले में आवेदक पति के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए दावा किया कि, 2009 से पति-पत्नी के बीच कोई घरेलू संबंध नहीं रहा. पत्नी के पक्ष में तलाक का आदेश भी दे दिया गया. इसके बाद भी भरण-पोषण की राशि बढाने का आदेश गलत है.

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