महाराष्ट्र

पत्नी को खावटी प्राप्त करने का अधिकार

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

नागपुर /दि. 9– पत्नी को गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार रहने का महत्वपूर्ण फैसला मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने दिया है. पारिवारिक हिंसाचार कानून का प्रावधान महिला का पारिवारिक हिंसाचार से बचाव करने के लिए किया गया था. इस कानून के तहत पत्नी को गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है. न्यायमूर्ति संदीपकुमार मोरे ने यह फैसला सुनाते हुए तलाकशुदा पत्नी को प्रति माह तीन हजार रुपए खावटी कायम रखी. इस पर आपत्ति लेनेवाली पति की याचिका खारिज कर दी गई.
यवतमाल के दंपति का 25 मई 2005 को विवाह हुआ था. कुछ साल बाद पारिवारिक हिंसाचार बढने से पत्नी 2009 में मायके चली गई. पश्चात 5 दिसंबर 2012 को उसने इस कानून के तहत प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी न्यायालय में शिकायत दर्ज कर खावटी की मांग की थी. दंडाधिकारी न्यायालय ने 17 जून 2014 को उसे प्रति माह 1500 रुपए गुजारा भत्ता देने के निर्देश दिए थे. लेकिन उसने इस फैसले को नामंजूर करते हुए 17 न्यायालय में अपील की तब 27 अप्रैल 2021 को प्रति माह तीन हजार रुपए खावटी मंजूर की गई. पश्चात पति ने हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी. पत्नी के साथ 2009 से पारिवारिक रिश्ता नहीं है. पत्नी को 13 जनवरी 2014 को तलाक मिला है. इस कारण उसे इस कानून के तहत गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता, ऐसा पति का कहना था. हाईकोर्ट ने पति के इस बात को ठुकरा दिया. फिलहाल पत्नी तलाकशुदा है और उसका पति के साथ पारिवारिक रिश्ता भी नहीं है. लेकिन उस पर पारिवारिक हिंसाचार हुआ तब वह पति के साथ पारिवारिक रिश्ते में थी. इस कारण वह इस कानून के तहत खावटी मिलने के पात्र है, ऐसा हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया.

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