महाराष्ट्र

अपने घर में भी सुरक्षित नहीं है महिलाएं!

महिला अत्याचारों में महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर

* घरेलू हिंसाचार व प्रताडना को लेकर शिकायतों में 42.33 फीसद की वृध्दि
मुंबई/दि.11– भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिये गये मूलभुत अधिकारों में प्रत्येक भारतीय नागरिक को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. जिसमें लिंग अथवा धर्म को लेकर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता. लेकिन देश की महिलाओं के इस अधिकार पर उनके परिवार द्वारा ही प्रहार किये जाने की भयावह हकीकत राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकडों से सामने आयी है. देश में सन 2019 से 2021 तक तीन वर्ष के दौरान अपने परिजनों व रिश्तेदारों द्वारा घरेलू हिंसा व प्रताडना के साथ ही क्रूरतापूर्वक व्यवहार करते हुए महिलाओं के सम्मान के साथ जीने के अधिकार पर आघात किये जाने को लेकर महिलाओं द्वारा करीब 23 हजार 497 शिकायतें दर्ज करायी गई है. जिन्हें देखते हुए कहा जा सकता है कि, पहले की तुलना में ऐसी शिकायतों में 42.33 फीसद शिकायतें बढी है. ऐसी शिकायतों के मामलों में उत्तर प्रदेश पहले, दिल्ली दूसरे और महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है. विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत तीन वर्ष के दौरान ही महाराष्ट्र सातवे स्थान से उछलकर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है. जिसका सीधा मतलब है कि, महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ होनेवाली अत्याचार की घटनाओं में काफी अधिक इजाफा हुआ है.
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा सम्मान से जीने का अधिकार शीर्षकतले महिलाओं की शिकायतों को स्वीकार किया जा रहा है. जिसमें घरेलू हिंसा, क्रूरता व प्रताडना ऐसी तीन तरह की शिकायतों का एकत्रित समावेश किया गया है. वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में लॉकडाउन काल के दौरान घरेलू हिंसा, प्रताडना व परिजनों की क्रूरता को लेकर महिलाओें द्वारा दर्ज कराई जानेवाली शिकायतों में 60.84 फीसद इजाफा हुआ. वर्ष 2019 में महाराष्ट्र की महिलाओं द्वारा 127 शिकायतेें दर्ज कराई गई थी. इस समय तक देश में महाराष्ट्र का स्थान सातवें स्थान पर था. वहीं तीन वर्ष के भीतर महिलाओं द्वारा दर्ज कराई जानेवाली शिकायतों में इजाफा होने के चलते महाराष्ट्र अब महिलाओं की प्रताडना के मामले में तीसरे स्थान पर आ पहुंचा है.

* तीन वर्ष में महिलाओं द्वारा की गई शिकायतें
2019 – 4,694
2020 – 7,715
2021 – 11,088

* इन राज्यों में सबसे कम शिकायतेें
मणिपुर, अरूणाचल, मिजोरम, नागालैंड, सिक्कीम, मेघालय, त्रिपुरा, आसाम, लद्दाख, दीव-दमन, दादरा-नगरहवेली, अंदमान-निकोबार व पुद्दुचेरी

* सर्वाधिक शिकायतें रहनेवाले देश के टॉप फाईव राज्य
2019 – उत्तर प्रदेश (1982), दिल्ली (459), राजस्थान (145), बिहार (143), मध्यप्रदेश (139)
2020 – उत्तर प्रदेश (4065), दिल्ली (635), हरियाणा (489), महाराष्ट्र (421), मध्यप्रदेश (335)
2021 – उत्तर प्रदेश (5917), दिल्ली (1180), महाराष्ट्र (576), हरियाणा (365), मध्यप्रदेश (336)

* तीन वर्ष में राज्यनिहाय हुई शिकायतों में वृध्दी
तेलंगना –    58.69%
हरियाणा –   55.89%
उत्तराखंड –   55.71%
ओडीशा –     51.35%
राजस्थान – 42.89%
केरल –       40.27%
मध्यप्रदेश – 38.98%
दिल्ली –      38.89%
बिहार –       33.88%
उत्तर प्रदेश – 33.49%
पंंजाब –       30.96%
झारखंड –    24.07%
महाराष्ट्र –    22.04%

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