
पुणे /दि. 10 – मां की भूमिका निभानेवाली महिलाएं केवल जन्मदात्री ही नहीं है, बल्कि अब वे पुनर्जन्म देनेवाली भी साबित हो रही है. अपने परिजनों सहित नजदिकी रिश्तेदारों को जीवनदान देने हेतु अब महिलाएं काफी बडे पैमाने पर आगे आ रही है. राज्य में सन 2022 से 2024 तक तीन वर्ष की कालावधि दौरान हुए अवयव दान के आंकडों को देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है.
बता दें कि, विगत कुछ वर्षों के दौरान किडनी व लिवर की बीमारियां काफी अधिक बढ गई है. जिसे पीडित रहनेवाले गंभीर मरीजों को किडनी व लिवर के प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है. परंतु ब्रेनडेड रहनेवाले लोगों के अवयव दान से अवयव मिलने हेतु बनाई जानेवाली प्रतीक्षा सूची दिनोंदिन लंबी होती जा रही है. जिसके परिणामस्वरुप प्रत्येक मरीज को समय पर उसकी जरुरत के लिहाज से अवयव मिलना संभव नहीं होता. वहीं दूसरी ओर किडनी व लिवर जैसे दो अवयवों का दान जीते जी भी किया जा सकता है. ऐसे में यदि परिवार के किसी व्यक्ति का किडनी या लिवर ट्रांसप्लांट करने की नौबत आती है तो ऐसे समय संबंधित परिवार की महिलाएं ही आगे आकर अपने संबंधित परिजन को अवयव देने हेतु पहल करती है, ऐसी जानकारी राज्य अवयव व उतीपेशी प्रत्यारोपन संस्था के आंकडों से दिखाई देती है.
वर्ष 2022 में 894 किडनी दाताओं में से 672 यानी 75 फीसद अवयव दाता महिलाहं थी. वहीं वर्ष 2023 में 1075 किडनी दाताओं में से 810 यानी 75 फीसद किडनीदाता महिलाएं रही. जबकि वर्ष 2024 में यह प्रमाण बढकर 76 फीसद तक पहुंच गया. जब 1190 किडनीदाताओं में से 907 किडनीदाता महिलाएं थी. इसके अलावा राज्य में सन 2022 में हुए 328 यकृत दान में से 207 यानी 63 फीसद दाता महिलाएं थी. वर्ष 2024 में 416 यकृत दाताओं में से 284 यानी 68 फीसद दाता महिलाएं रही. वहीं सन 2024 में 418 दाताओं में 291 यानी 70 फीसद दाता महिलाएं रही. इन आंकडों को देखकर कहा जा सकता है कि, राज्य में किडनी एवं लिवर दान करने के मामले में महिलाओं की संख्या अधिक है और हर महिला अपने परिवार के पीछे बडी गंभीरता के साथ खडी रहती है. फिर चाहे उसे इसके लिए कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पडे.