यास गया पर बंगाल की खाड़ी पर अब भी मंडरा रहा ‘अहंकार का तूफान’
IAS अलपन बंदोपाध्याय को लेकर शिवसेना का केंद्र पर तंज
मुंबई/दि. 3 – पश्चिम बंगाल(West Bengal) के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच चल रही खींचतान के बीच शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि ‘‘अहंकार का तूफान’’ अब भी बंगाल की खाड़ी में मंडरा रहा है. इस दौरान केंद्र की ओर से राज्यों पर दबाव डालना गलत है. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा गया है कि केंद्र को राजनीतिक जीत और हार को लेकर बड़ा नजरिया अपनाना चाहिए. क्योंकि इसके अभाव में देश की एकता को नुकसान पहुंच सकता है. पार्टी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्रियों मनमोहन सिंह, राजीव गांधी, पी वी नरसिंह राव और अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में केंद्र और राज्यों के बीच संघर्ष की चिंगारी नहीं भड़कती थी.
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बंगाल की खाड़ी पर मंडरा रहा अहंकार का तूफान
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा बुलाई बैठक में शामिल न होकर आपदा प्रबंधन कानून का कथित तौर पर उल्लंघन करने के लिए 31 मई को बंदोपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. शिवसेना ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि चक्रवात यास आया और चला गया लेकिन अहंकार का तूफान अब भी बंगाल की खाड़ी पर मंडरा रहा है.
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केंद्र ने बंदोपाध्याय को भेजा कारण बताओ नोटिस
पीएम नरेन्द्र मोदी के राज्य के दौरे के दौरान बुलाई चक्रवात समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) तो उपस्थित नहीं रहीं. इसके साथ ही बंदोपाध्याय भी शामिल नहीं हुए. शिव सेना ने कहा कि केंद्र ने बंदोपाध्याय को ‘प्रतिनियुक्ति’ पर दिल्ली बुला लिया तो बनर्जी ने उनका इस्तीफा ले लिया. उन्हें अपना मुख्य सलाहकार बना लिया. केंद्र ने अब बंदोपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. धमकी दी गई है कि अगर इसका जवाब नहीं दिया गया तो मामला दर्ज किया जाएगा.
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राजनीति में सैंडविच जैसी हो जाती है नौकरशाह की हालत
शिवसेना ने कहा कि नौकरशाह बंगाल कैडर के हैं और वह मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं. वह प्रधानमंत्री की बैठक में शामिल नहीं हुए क्योंकि वह उस समय चक्रवात को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक अन्य बैठक में थे. उन्होंने बताया कि ऐसे झगड़ों में वरिष्ठ नौकर शाहों की हालत सैंडविच जैसी हो जाती है.
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केंद्र सरकार का राज्य सरकार पर दबाव डालना गलत
संपादकीय में कहा गया है, नौकरशाह अपराधी कैसे हो सकता है अगर वह अपने राज्य के मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन कर रहा हैं. अगर वह प्रधानमंत्री की बैठक में शामिल होते तो राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करती. महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ दल ने कहा कि केंद्र का राज्यों पर दबाव डालना गलत है. हमारी एक संघीय व्यवस्था है. उन राज्य सरकारों का अपमान करना गलत है जिनकी राजनीतिक विचारधारा केंद्र से मेल नहीं खाती.
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केंद्र को राजनीति में दृष्टिकोण की जरूरत: शिव सेना
पार्टी ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में छह आरोपी हैं. जबकि चार को गिरफ्तार कर लिया गया है और दो अन्य को गिरफ्तार नहीं किया गया. क्योंकि वे दोनों बीजेपी में शामिल हो गए. क्या संविधान ने केंद्र को इस तरीके से काम करने की शक्तियां दी हैं. उसने कहा, ‘‘केंद्र बंदोपाध्याय को सजा देकर ममता बनर्जी को सबक सिखाना चाहता है. यह देश की नौकरशाही को धमकी है. यह अहंकार की लिमिट है. केंद्र को राजनीतिक हार और जीत के लिए बड़ा दृष्टिकोण रखना चाहिए.