यवतमाल के पर्यटक नरेंद्र भांडारकर के परिवार को कश्मीर में मुस्लिम परिवार ने दिया आश्रय
हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम दिखाई

यवतमाल /दि.29– यवतमाल के वडगांव परिसर के रहने वाले और नागपुर के उनके समधी व अन्य तीन परिवार के 11 सदस्य कश्मीर की वादियों में घूमने के लिए गये थे. पहलगाम के बैसरन में हुए आतंकी हमले के बाद वे एक छोटे से गांव में रास्ता बंद होने के कारण फंस गये थे. जहां उन्हें खुर्शीद भाई और शाहीस्ता इस मुस्लिम परिवार ने आश्रय दिया.
पर्यटक नरेंद्र भांडारकर ने बताया कि, हम लोग 10 दिन की कश्मीर यात्रा करने के बाद 22 अप्रैल को सुबह हमें मिनी स्वीट्झरलैंड नाम से विख्यात बैसरन की ओर जाना था और उसी दिन शाम को जम्मू से नागपुर जाने के लिए हमारी वापसी की ट्रेन थी. हमारे वाहन चालक ने कहा कि, बैसरन घूमने गये, तो जम्मू शाम तक पहुंच ही नहीं पाओंगे. निराश होकर हम जम्मू के लिए सुबह 10 बजे निकले और दोपहर 2 बजे बैसरन में आतंकी हमले की जानकारी मिली. हमारे होश उड गये. वाहन चालक पर हम नाराजगी जता रहे थे. किंतु यह खबर सुनते ही हमने वाहन चालक को धन्यवाद दिया.
जम्मू के लिए जब हम रवाना हुए, तब रामबन, बनिहाल रास्ता जोरदार बारिश की वजह से बंद हो गया और हम बोनीगाम छोटे से गांव में फंस गये. हमारे पास खाने-पीने का इंतजाम नहीं था. ठंड भी पड रही थी. हम सभी चिंता में थे. गांव में एक छोटी दुकान थी. उस दुकान के मालिक खुर्शीद भाई ने हमें सात्वना देते हुए कहा कि, आप हमारे घर पर रुक जाओ. उनके घर पर मेहमान होने के बावजूद भी उन्होंने हमें और नागपुर के कुछ पर्यटकों को तीन कमरे दिये और वे खुद रसोई घर में सोये. हमारे खाने-पीने का इंतजाम किया. उस दिन खुर्शीद भाई और शाहिस्ता दीदी हमारे लिए देवदूत साबित हुए.
नरेंद्र भांडारकर के समधी ने यह वाकया फोन पर विधायक मोहन मते को बताया. मोहन मते ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को इस घटना की जानकारी दी. नितिन गडकरी के कार्यालय से जम्मू कश्मीर के जिलाधिकारी को बताया गया. जिलाधिकारी ने भांडारकर के समधी से संपर्क कर उन्हें वहीं रहने की सलाह दी. दूसरे दिन रास्ता शुरु होने के बाद आगे की यात्रा करने की सूचना दी. जिलाधिकारी की सूचना पर बोनी ग्राम के सरपंच दूसरे दिन सुबह खुर्शीद भाई के घर पहुंचे और सभी पर्यटकों के लिए नाश्ते की व्यवस्था की. उसके बाद हम राजौरी, पुंछ मार्ग शुरु होने से जम्मू के लिए रवाना हुए और सुबह 3 बजे निजी बस से सभी पर्यटक दिल्ली पहुंचे. 24 अप्रैल को नागपुर पहुंचे, ऐसा नरेंद्र भांडारकर ने बताया.
नरेंद्र भांडारकर ने यह भी कहा कि, सभी मुस्लिमों को दोष देना गलत है. अलीबाबा नाम का हमारा गाईड था, उसने भी हमें जगह-जगह पर सतर्क करते हुए मार्गदर्शन किया. कही भी हमारी लूटपाट नहीं होने दी. बोनी ग्राम में फंसने के बाद किसी ने भी हमसे हमारी जात नहीं पूछी, खुर्शीद भाई के परिवार ने हमें अपने घर में अश्रय दिया.