विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष अनेक मांगें प्रस्तुत

संवैधानिक पदों के अधिकारी विधिक सिद्धांतों का उल्लंघन न करें

* अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. मीनल भोंडे की चेतावनी
अमरावती /दि.9– अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) की ओर से विभागीय अध्यक्षों के प्रतिनिधिमंडल ने संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के माननीय कुलगुरु डॉ. मिलींद बारहाते तथा माननीय प्र-कुलगुरु डॉ. महेंद्र ढोरे से मुलाकात की. इस अवसर पर अनेक विषयों पर व्यापक चर्चा हुई. प्राचार्य डॉ. मीनल भोंडे तथा महामंत्री डॉ. मंगेश अडगोकर के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल उपस्थित था.
* मूल्यांकन पद्धतियों में समरसता आवश्यक
विश्वविद्यालय की विभिन्न संकायों में पाठ्यक्रम संरचना, क्रेडिट आवंटन एवं परीक्षा पद्धति में देखने को मिल रही विसंगतियों के कारण छात्रों की शैक्षणिक समरसता बाधित हो रही है, यह विषय महासंघ ने रेखांकित किया. विशेषकर थ्योरी और प्रैक्टिकल कक्षाओं में असंतुलन के कारण छात्रों में भ्रम और असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो रही है, ऐसा अवलोकन किया गया. इसके समाधान हेतु एक समान नीति निर्धारित करने के लिए विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति की अनुशंसा महासंघ ने की. विश्वविद्यालय के अधिकारी, प्राचार्य, प्राध्यापक, विद्यार्थी और अभिभावक, इन सभी घटकों की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए यह मांग विशेष महत्त्व की है, ऐसा महासंघ ने रेखांकित किया. नए सत्र के आरंभ हेतु शेष अवधि और अपेक्षित परिवर्तनों के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को देखते हुए, इस कार्य में अड़चन आने की बात माननीय कुलगुरु ने व्यक्त की. चर्चा के उपरांत उन्होंने प्रयास का आश्वासन दिया.
* विश्वविद्यालय को लेना चाहिए अग्रणी भूमिका
राष्ट्रीय शैक्षणिक नीति – 2020 के अंतर्गत नवप्रारंभित जैसे पाठ्यक्रमों में अब भी अध्ययन सामग्री की कमी होने के कारण छात्रों की भागीदारी और अध्ययन की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है, इस पर शैक्षिक महासंघ ने विश्वविद्यालय का ध्यान केंद्रित किया. यदि इन पाठ्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करना है, तो उच्च गुणवत्ता वाली, सहज और स्थानीय संदर्भों से समृद्ध अध्ययन सामग्री तैयार कर उसे प्रकाशन विभाग के माध्यम से वितरित किया जाना चाहिए, ऐसी नवीन मांग प्रस्तुत की गई. इस मांग के महत्त्व को स्वीकारते हुए कुलगुरु और प्र-कुलगुरु ने आश्वासन दिया कि इस पर नीति निर्णय के लिए विद्वत्त परिषद की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव रखा जाएगा और उचित कार्यवाही की जाएगी.
दोनों निवेदनों से यह स्पष्ट किया गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन केवल दस्तावेज़ी न रहकर, वह पाठ्यक्रम, साहित्य, मूल्यांकन एवं छात्रों के अनुभवों में भी परिलक्षित हो, यही महासंघ की भूमिका है. विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता और छात्रों के विकास को गति देने वाली इन मांगों के महत्त्व को कुलगुरु एवं प्र-कुलगुरु समझें, संबंधित विभागों द्वारा त्वरित निर्णय लें एवं उचित प्रक्रियाओं को गति प्रदान करें, ऐसी अपील महासंघ द्वारा की गई.
* नियमबाह्य शर्तें लगाने का आरोप
अमरावती विश्वविद्यालय में पीएच. डी. अनुसंधान केंद्र मान्यता प्रक्रिया में मानव्यविज्ञान संकाय के अधिष्ठाता द्वारा दो शर्तें लगाई गई हैं, जो विश्वविद्यालय के अधिनियम 1/2016 में अस्तित्व में नहीं हैं और लागू नहीं होतीं, यह स्पष्ट हुआ है. पहली, पीएच.डी. मार्गदर्शकों के पास स्नातकोत्तर शिक्षक की मान्यता होना अनिवार्य बताया गया; दूसरी, ऐसे महाविद्यालय जिनमें पीजी विभाग नहीं है, उन्हें अनुसंधान केंद्र के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी, यह शर्त लागू की गई. ये दोनों शर्तें अन्य किसी संकाय में नहीं लागू की गई हैं, यह विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है.
इन विरोधाभासों के विरुद्ध महासंघ ने स्पष्ट आपत्ति दर्ज कराते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को लिखित निवेदन प्रस्तुत किया. अधिनियम 1/2016 की स्पष्ट धाराओं का आधार लेते हुए महासंघ ने इन शर्तों को अवैध ठहराया और इन्हें तत्काल निरस्त करने की मांग की. ऐसे विश्वविद्यालय के संवैधानिक पद पर कार्यरत अधिकारी द्वारा विधिक सिद्धांतों का उल्लंघन कर अपने ही सहकर्मियों पर अन्याय न किया जाए, इस प्रकार की चेतावनी महासंघ की अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. मीनल भोंडे ने इस अवसर पर दी. इस निवेदन की संज्ञान लेकर माननीय कुलगुरु ने आश्वासन दिया कि अधिनियम 1/2016 के अनुसार बोर्ड ऑफ डीन के माध्यम से नियमबद्ध कार्यवाही की जाएगी और किसी भी प्राध्यापक या महाविद्यालय पर अन्याय नहीं होगा. इस बाबत विद्वत्त परिषद से नियमानुसार अंतिम स्वीकृति प्राप्त की जाएगी, ऐसा स्पष्ट किया गया है. इस निर्णय से अनुसंधान प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय बना रहेगा, ऐसा विश्वास व्यक्त किया गया.
* स्थायी समिति के निर्णय पर आपत्ति
संगणक विज्ञान और जैवरसायनशास्त्र अध्ययन मंडलों के अध्यक्ष पद हेतु विश्वविद्यालय द्वारा दिनांक 7 जनवरी 2025 को जारी अधिसूचना क्र. 06/2025 के अनुसार, विश्वविद्यालय की स्थायी समिति की कार्यप्रणाली के विरुद्ध अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ ने 7 फरवरी 2025 को अपील प्रस्तुत की थी. महासंघ की अपील में संबंधित अधिनियम की धारा 40(2)(ड)(ल) के स्पष्ट उल्लंघन की बात की गई थी, तथा नामांकन प्रक्रिया को लेकर लिखित स्पष्टीकरण की मांग की गई थी. इस बाबत विश्वविद्यालय की ओर से अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है. इस पर महासंघ ने असंतोष व्यक्त किया तथा प्रशासन से निवेदन किया कि इस विषय पर हुई कार्यवाही महासंघ को लिखित रूप में दी जाए. इस पर माननीय कुलगुरु ने सहमति प्रदान की.
* वाड्मय चौर्य प्रकरण की शीघ्र करें जांच
विश्वविद्यालय एवं शिक्षक समुदाय की छवि धूमिल कर रहे वाड्मय चौर्य प्रकरण की यथाशीघ्र जांच कर संदेह के बादल हटाए जाएं, ऐसी मांग महासंघ ने की. इस कानून का आधार लेकर किसी भी शिक्षक को बलि का बकरा न बनाया जाए. इसके लिए इस प्रकरण को शीघ्र सुलझाना आवश्यक है. यह दृढ़ मत महासंघ ने प्रस्तुत किया. इस पर कुलगुरु ने जानकारी दी कि प्रकरण की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए विधिवेत्ता से परामर्श लिया जा रहा है. महासंघ ने णॠउ रेगुलेशन 2018 को देखते हुए सीमित समय में जांच पूर्ण करने का आग्रह किया. इस प्रकरण में विश्वविद्यालय की गरिमा बनाए रखने की जिम्मेदारी माननीय कुलगुरु की है और इस बाबत गंभीर कार्यवाही अपेक्षित है, ऐसा महासंघ ने कहा.
* पत्रकारिता कोर्स में संतोषजनक उत्तर प्राप्त
विश्वविद्यालय की आचार्य पूर्व परीक्षा की सूची से पत्रकारिता एवं जनसंचार विषय हटाए जाने से छात्रों में भारी असंतोष उत्पन्न हुआ. इस निर्णय के विरोध में महासंघ ने विस्तृत निवेदन देकर त्वरित हस्तक्षेप की मांग की. महासंघ ने स्पष्ट किया कि यह विषय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की बहु-विषयक दृष्टिकोण से मेल खाता है और इसकी उपेक्षा अनुचित है. माननीय कुलगुरु ने इस निवेदन की गंभीरता को समझते हुए स्पष्ट किया कि वर्तमान में विश्वविद्यालय में मान्यताप्राप्त मार्गदर्शक उपलब्ध न होने के कारण परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकी. परंतु, छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए महासंघ द्वारा सुझाए गए विकल्प – अन्य विषयों के मार्गदर्शक अथवा बाह्य विशेषज्ञों के सहयोग से छात्रों को मार्गदर्शक प्रदान किए जाएंगे. यह व्यवस्था विद्वत्त परिषद की स्वीकृति के बाद लागू होगी. इस कारण अगले सत्र में पूर्व परीक्षा देने का अवसर अवश्य मिलेगा, ऐसा कुलगुरु ने आश्वासन दिया. छात्रों के हित में सभी प्रयास किए जाएंगे, ऐसा कहते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस विषय में पारदर्शी भूमिका अपनाई. इस पर महासंघ ने संतोष व्यक्त किया. प्रतिनिधिमंडल में महासंघ के पदाधिकारी एवं प्रबंधन परिषद सदस्य प्रो. डॉ. विद्या शर्मा उपस्थित थे. इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. स्मिता देशमुख, प्राचार्य डॉ. डी. टी. इंगोले, डॉ. दिनेश खेडकर, प्रो. डॉ. रेखा मग्गीरवार, डॉ. बंडू गवई, डॉ. पूनम दिवसे, डॉ. शिरीष टोपरे, डॉ. राजेश बुरंगे, डॉ. विनायक भटकर उपस्थित रहे.

Back to top button