मराठा आरक्षण आंदोलन को मिली ऐतिहासिक सफलता!

हैदराबाद गैजेट मान्य, मराठा उपसमिति ने जरांगे को दिया शब्द

* विखे पाटिल के नेतृत्व में समिति सदस्यों ने जरांगे से की भेंट
* सातारा गैजेट की मांग पर जल्दी निर्णय लेने की बात कही
* अब ‘सगे-सोयरों’ को भी मिलेगा मराठा आरक्षण का लाभ
* मराठा बलिदानियों के वारिसों को मिलेगी 15 करोड की सहायता
* सभी मराठा आंदोलकों पर दर्ज मामले लिए जाएंगे वापिस
* अब सभी की निगाहें आजाद मैदान पर चल रहे आंदोलन की ओर
मुंबई/दि.2 – मराठा समाज को ओबीसी संवर्ग के तहत आरक्षण मिलने की मांग हेतु मनोज जरांगे पाटिल द्वारा शुरु किए गए मराठा आंदोलन को आज उस समय बेहद बडी व ऐतिहासिक सफलता मिली, जब राज्य मंत्रिमंडल द्वारा मराठा आरक्षण को लेकर गठित मंत्रियों की उपसमिति ने आजाद मैदान पर पहुंचकर मनोज जरांगे से भेंट की और सरकार की ओर से मनोज जरांगे को लिखित तौर पर ‘शब्द’ देते हुए बताया गया कि, राज्य सरकार द्वारा हैदराबाद गैजेट को मान्य किया गया है. साथ ही सातारा गैजेट के बारे में भी जल्द निर्णय ले लिया जाएगा. उपसमिति का नेतृत्व कर रहे मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने मनोज जरांगे को उपसमिति की बैठक में हुई चर्चा एवं बैठक दौरान तैयार किए गए प्रस्ताव की लिखित प्रतिलिपी सौंपी. जिसमें कहा गया कि, गांव की आपसी नातेदारी-रिश्तेदारी में रहनेवाले ‘सगे-सोयरे’ मराठा लोगों की पडताल कर उन्हें कुणबी जाति के प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे तथा मराठा आंदोलकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को सितंबर माह के अंत तक पीछे ले लिया जाएगा. इसके साथ ही मराठा आरक्षण की मांग को लेकर बलिदान हुए मराठा समाजबंधुओं के परिजनों हेतु 15 करोड रुपए की वित्तिय सहायता दी जाएगी. साथ ही सभी बलिदानियों के बचत खातों में भी एक सप्ताह के भीतर सहायता राशि जमा कराई जाएगी. इस समय मराठा उपसमिति ने यह आश्वासन भी दिया कि, यदि मनोज जरांगे द्वारा सरकार की ओर से पेश किए गए प्रस्तावों को मंजूर किया जाता है, तो इस बारे में तुरंत ही शासनादेश जारी करते हुए उस पर अमल करना शुरु किया जाएगा. इस समय मनोज जरांगे ने उपसमिति की ओर से दिए गए प्रस्तावों को अपने हजारों समर्थकों के सामने पढकर सुनाया और समर्थकों के साथ चर्चा करने के उपरांत निर्णय लेने की बात कही. जिसके चलते अब सभी की निगाहें इस बात की ओर लगी हुई है कि, आजाद मैदान पर मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन का भविष्य क्या होगा?
बता दें कि, मराठा उपसमिति की मुलकात से पहले शिंदे समिति के प्रमुख न्यायमूर्ति शिंदे ने भी मनोज जरांगे से मुलाकात कर चर्चा की थी तथा शिंदे समिति द्वारा मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अब तक क्या काम किया गया, इसकी जानकारी भी दी. जिसके उपरांत शिंदे समिति ने इस बारे में मराठा उपसमिति से चर्चा की और फिर मराठा उपसमिति ने मराठा आरक्षण का अंतिम मसौदा तैयार करते हुए उसे मनोज जरांगे से मुलाकात कर उनके सुपूर्द सौंपा तथा इस मसौदे को स्वीकार करने का निवेदन किया. ताकि इसे लेकर सरकार द्वारा शासनादेश जारी किया जा सके.
उल्लेखनीय है कि, मराठा आंदोलक मनोज जरांगे द्वारा विगत पांच दिनों से मुंबई के आजाद मैदान पर किए जा रहे आंदोलन को दिनोंदिन व्यापक समर्थन मिल रहा है. जिसके मद्देनजर जरांगे पाटिल की मांगों पर हल निकालने को सरकारी स्तर पर जबरदस्त हलचले चल रही है. साथ ही सरकार की ओर से जरांगे को देने हेतु एक प्रस्ताव तैयार करने की प्रक्रिया भी शुरु की गई, जिसका मसौदा भी तैयार किया गया. जिसके तहत गांव के रिश्तेदारों एवं कुणबी प्रमाणपत्र धारकों द्वारा दिए गए प्रतिज्ञापत्र के आधार पर अन्यों को कुणबी प्रमाणपत्र देने के बारे में सरकार द्वारा विचार किया गया है. जिसके चलते कुणबी पंजीयन की पडताल हेतु ग्राम पंचायत व तहसील स्तर पर नई पडताल समिति गठित की जाएगी और इस समिति द्वारा गांव स्तर पंजीयन खोजे जाएंगे. जिसके चलते मराठाओं को कुणबी प्रमाणपत्र मिलना आसान होगा. हैदराबाद गैजेट में केवल जनसंख्या ही दर्ज रहने के चलते उसे जस का तस लागू नहीं किया जा सकता. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक विमुक्त जाति के लोगों को जाति प्रमाणपत्र देने में काफी समस्याएं व दिक्कते आ रही थी. जिस पर मार्ग निकालने हेतु ग्रामसेवक के स्तर पर घर-घर जाकर जांच-पडताल कर संबंधितों को प्रमाणपत्र देने के बारे में सन 2008 में शासनादेश जारी किया गया था. उसी तर्ज पर मराठा समाज को कुणबी का दाखिला देते समय घर-घर जाकर जांच-पडताल करने के उपरांत प्रमाणपत्र दिए जाने को लेकर सरकारी स्तर पर गंभीर चर्चा चल रही है. जिसके अनुसार कच्चा मसौदा तैयार कर जारी सप्ताह के अंत तक उसे अंतिम स्वरुप दिए जाने की पूरी संभावना है. इसी तरह पिछडावर्गीय जातियों को प्रमाणपत्र देने के बारे में सन 2001 में एक जीआर निकाला गया था, परंतु इसमें भटक्या विमुक्त जाति के प्रमाणपत्र देने में काफी समस्याएं व दिक्कते आ रही थी. जिसका समाधान निकालने हेतु वर्ष 2008 में एक और नया जीआर निकाला गया. इस नए जीआर के अनुसार भटक्या व विमुक्त जाति के नागरिकों की ग्रामसेवक स्तर पर घर-घर जाकर जांच-पडताल करने की बात तय हुई थी. जिसके बाद उन्हें प्रमाणपत्र देने का निर्णय नए जीआर में अंतर्भूत किया गया था. इसी बीच मराठा समाज को भी ओबीसी प्रमाणपत्र देते समय पंजीयन नहीं पाए जाने की दिक्कते सामने आ रही है. ऐसे में राज्य सरकार ने सन 2008 के जीआर के तर्ज पर मराठा समाज को कुणबी प्रमाणपत्र दिए जाने की पडताल करनी शुरु की है. जिसके तहत घर-घर जाकर जांच-पडताल करते हुए संबंधित नागरिकों के बारे में पूरी पडताल की जाएगी और उसकी रिपोर्ट सक्षम अधिकारियों को दी जाएगी. इन तमाम बातों से मराठा उपसमिति द्वारा मराठा आंदोलक मनोज जरांगे को अवगत कराया गया और उन्हें आश्वस्त किया गया कि, राज्य सरकार द्वारा मराठा आरक्षण की मांग पर सकारात्मक तरीके से विचार किया जा रहा है और जल्द ही मराठा आरक्षण को मुक्कमल तरीके से लागू किया जाएगा. अत: मनोज जरांगे द्वारा मुंबई के आजाद मैदान पर किए जा रहे आंदोलन को खत्म किया जाए.
* हाईकोर्ट ने दिया था दोपहर 3 बजे तक अल्टीमेटम
– मराठा आंदोलकों से आजाद मैदान खाली कराने कहा था
वहीं इससे पहले मराठा आंदोलन के चलते मुंबई में चहुंओर भीडभाड हो जाने और इस भीड के चलते गणेशोत्सव के दौरान मुंबई में हर ओर ट्रैफिक जाम होकर आम जनजीवन अस्तव्यस्त हो जाने की ओर बेहद गंभीरतापूर्वक ध्यान देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस पर बेहद सख्त रवैया अपनाया और इस मामले को लेकर आज हुई सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने कडा रुख दर्शाते हुए मराठा आंदोलकों को दोपहर 3 बजे तक आजाद मैदान खाली कर देने का निर्देश दिया. साथ ही मुंबई में फैली अव्यवस्था को लेकर राज्य सरकार के प्रति भी कडी नाराजगी दिखाते हुए कहा कि, यदि सरकार व प्रशासन आजाद मैदान को दोपहर 3 बजे तक खाली कराने में नाकाम साबित रहते है, तो फिर खुद हाईकोर्ट को यानि न्यायमूर्तियों को सडक पर उतरकर व्यवस्था अपने हाथ में लेनी पडेगी.
* मराठाओं का आरक्षण मिलने पर आजाद मैदान पर डटे रहने का फैसला
खास बात यह भी रही कि, हाईकोर्ट के सख्त निर्देश के बावजूद राज्यभर से आरक्षण की मांग को लेकर आजाद मैदान पर जुटे मराठाओं ने खुला ऐलान किया कि, जब तक मराठा आरक्षण की मांग पूरी तरह से मान्य नहीं होती, तब तक एक भी मराठा आजाद मैदान से नहीं हटेगा. फिर चाहे मराठाओं को पुलिस की गोलियों का ही सामना क्यों न करना पडे. इस तरह की अडिग भूमिका मराठाओं द्वारा अपनाए जाने के चलते राज्य सरकार के समक्ष पेशोपेश वाली स्थिति बन गई थी. इसी गहमा-गहमी के बीच मराठा उपसमिति की बैठक हुई और बैठक में तैयार प्रस्ताव को ले जाकर मराठा आंदोलक मनोज जरांगे के सामने रखा गया. जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि, अब जल्द ही इस गंभीर मसले का कोई हल निकल आएगा. साथ ही आजाद मैदान पर चल रहे आंदोलन का पटापेक्ष भी हो जाएगा.

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