मराठी साहित्यकार लौटायेंगे पुरस्कार

हिन्दी अनिवार्य का विवाद बढा

मुंबई./ दि. 23 – जल्द होनेवाले निकाय चुनाव को ध्यान में रखकर राजनीतिक पार्टियां सरकार के नानाविध फैसलों का विरोध और समर्थन करती है. ऐसे ही हिन्दी को तृतीय भाषा के रूप में मान्यता देना अनिवार्य करना कुछ दलों को ठीक नहीं लगा है. वे इस मामले को हवा दे रहे हैं. इसी बीच खबर है कि हिन्दी कथित रूप से लादने के विरोध में मराठी साहित्यकारों ने राज्य शासन के पुरस्कार लौटाने का इरादा किया है.
हेमंत दिवटे ने सोशल मीडिया पर पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर दी है. लेखक दिवटे ने यह भी कहा कि वह रकम के साथ उनके कविता संग्रह को मिला ईनाम लौटायेंगे. उनकी भूमिका का सोशल मीडिया पर कई लोग समर्थन कर रहे हैैं. सचिन गोस्वामी ने भी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि उसकी नीति का विरोध अर्थात हिन्दी का विरोध, इस प्रकार का आशय लेकर राजनीति की जा रही है. गोस्वामी ने कहा कि यह सामाजिक विषय है, राजकीय नहीं.
राकांपा शरद पवार गट की सांसद सुप्रिया सुले पहले ही शासन की तीन भाषा नीति का विरोध कर चुकी है. सरकार ने हिन्दी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया है. जिसका विरोध किया जा रहा हैै. सांसद सुले ने आरोप लगाया कि सरकार पिछले दरवाजे से हिन्दी पढाने अनिवार्य कर रही है. इसके लिए खेल और कला जैसे विषयों के पीरेड कम करने की भी आशंका है.

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