सौभाग्यवतियोें का रूझान रेडिमेड गौर खरिदी की ओर
70 से 200 रुपए में मिल रही रेडिमेड गौर

* गणेशोत्सव के साथ ही काजल तीज की हुई जमकर खरिदी
अमरावती /दि. 26 – गणेशोत्सव से एक दिन पहले भाद्रपद तृतिय को हरतालिका यानी काजल तीज मनाई जाती है. इस पर्व में सौभाग्यवती महिलाओं द्बारा परडी व टोकरी में मिट्टी भरकर जौ की बुआई कर उससे अंकुरित हरे पोपलो यानी गौरी में रेत से निर्मित शिव पिंड तैयार कर उसका पूजन किया जाता है. क्योंकि इन दिनों कामकाजी व नोकरी पेशा महिलाओं के पास इन कामों के लिए समय नहीं रहता इसके चलते ऐसी महिलाओं की सुविधा हेतु बाजार में रेडिमेड गौर बिक्री हेतु उपलब्ध है. जिनकी किमत 70 रूपए से 200 रूपए तक है और बीती शाम कई महिलाओं ने बाजार से रेडिमेड गौर की जमकर खरीदारी की. जिसके चलते शहर के सभी प्रमुख चौक- चौराहों में गणेशोत्सव के साथ साथ हरितालीका पर्व की खरिददारी जमकर हुई.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शिव को वर के रूप में प्राप्त करने हेतु माता पार्वती द्बारा हरितालिका तीज का व्रत किया गया था. जिसके चलते कुमारी कन्याओं द्बारा मनवांछित वर प्राप्त करने और विवाहीत महिलओं. द्बारा अपने सौभाग्य को अखंड रखने हेतू हरितालीका का पर्व मनाते हुए गौर-शिव का पूजन किया जाता है. जिसकेे तहत चौरंग व टेबल पर अंकुरित जौ से गौरी की स्थापना की जाती है जिसमें रेत से निर्मित शिवलिंग की स्थापना कर शिवलींग पर कम से कम 16 वनस्पतियों के पत्ते अर्पित किए जाते है साथ ही सुपारी के गणपति का पूजन व कलश पूजन कर पूजा का प्रारंभ होता है. इस समय गौरी में स्थापित शिवलींग पर धतुरे के फुल, फल व 108 बेलपत्र अर्पित किए जाते है. साथ ही ककडी, सेफ, केले, अनार, जाम व चिकू जैसे फल गौरी के समक्ष रखे जाते है. इसके बाद आरती व पूजन किया जाता है. हरितालीका पर महिलाओं द्बारा दिनभर उपवास किया जाता है और शाम के समय कई सौभाग्यवती महिलाएं सामुहिक तौर पर हल्दी कुमकूम का कार्यक्रम आयोजित करती है. साथ ही गौरी को मिष्ठान्नो का नैवेद्य अर्पित किया जाता है. पश्चात गणेश चतुर्थी को गौरी का विसर्जन किया जाता है.
* फलो व नारियलों की जमकर हुई खरिदी
बाजार में हरितालीका हेतु आवश्यक सभी तरह के पूजा साहित्य सहित साज-सज्जा वाले साहित्य बिक्री हेतु उपलब्ध कराए गए थे. जिनमें मखमली आसन, नारियल, कपूर, फूल बत्ती व तेल बत्ती, हल्दी, कुमकूम, गुलाल, 16 विविध वनस्पतियों के पत्ते, बेलपत्र, फल व ककडी जैसे साहित्यों की दूकाने शहर में हर ओर सडक किनारे लगी हुई थी. जहां पर महिलाएं बडे उत्साह के साथ अपनी आवश्यकता नुसार पूजा हेतू आवश्यक साहित्य की खरिदी कर रही थी. कई महिलाओं ने अपने घर व परिसर के आसपास स्थित वृक्षों से भी वनस्पतीयों के पत्ते एकत्रित किए. साथ ही गत रोज फूलों सहित धतुरा फुलोें की भी जमकर बिक्री हुई.





