प्रदेश की आठ हजार से अधिक शालाएं एकही शिक्षक के भरोसे

दुर्गम क्षेत्र के छात्रों का भविष्य अंधेरे में

चंद्रपुर/दि.4 -प्रदेश में शालेय शिक्षा विभाग की व्यवस्था पर सवालिया निशान निर्माण करने वाली जानकारी प्रकाश में आई है. राज्य में करीब 8 हजार 187 शालाएं केवल एकही शिक्षक के भरोसे पर चल रही है. जिसके कारण छात्रों की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे है.
संविधान के अनुसार हर व्यक्ति को मुफ्त शिक्षा का अधिकार दिया है. इसलिए ग्रामीण क्षेत्र में बडी संख्या में सरकारी स्कूलें खोली गई. बावजूद इसके शिक्षा का प्रतिशत न बढकर राज्य में करीब आठ हजार से अधिक शालाएं केवल एकही शिक्षक के भरोसे है. इसमें विशेषत: आदिवासी और दुर्गम क्षेत्र की स्कूलों की संख्या अधिक है. एकही शिक्षक को तीन से चार कक्षाएं संभालते समय दिक्कतें आ रही है. परिणामस्वरूप छात्रों का शैक्षणिक नुकसान हो रहा है. इसलिए सांसद प्रतिभा धानोरकर ने शिक्षा मंत्रालय को आडे हाथ लेकर राज्य की शिक्षा की गंभीर समस्या पर तुरंत लिखित में जवाब मांगा और शिक्षा मंत्रालय से इन रिक्त पदों पर भर्ती करने के लिए कोई ठोस समयसीमा है, उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, विद्यार्थी-शिक्षक गुणोत्तर आदि का उल्लंघन करने वाली स्कूलों पर सरकार क्या कार्रवाई करती है? इसका जवाब मांगा है.

राज्य मं करीब आठ हजार 187 स्कूलों में एकही शिक्षक होना गंभीर बात है. महाराष्ट्र के गरीब और दुर्गम क्षेत्र के छात्रों का भविष्य, केवल कागजी प्रक्रिया करने वाली सरकार की नीति के कारण अंधेरे में होने की बात फिर एकबार उजागर हुई है. छात्रों की शिक्षा की समस्या समवर्ती सूची के नाम पर राज्यों में दिखाई दे रही है.
-प्रतिभा धानोरकर, सांसद

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