मौत के मुंह से बाहर निकाला माता और नवजात को

मेलघाट की गर्भवती महिला की प्रसूति डफरीन में हुई सफल

अमरावती/दि.1 -जिला महिला अस्पताल (डफरीन) में धारणी उपजिला अस्पताल से 22 नवंबर को देररात भर्ती हुई गर्भवती महिला की जान बचाने में डॉक्टरों को सफलता मिली हैं. 25 सप्ताह के गर्भ के साथ ‘प्लेसेंटा प्रिविया’ जैसी काफी खतरनाक अवस्था में यह महिला भर्ती हुई थी. डॉक्टरों ने समय पर सिझेरियन कर महिला और उसके बच्चे की जान बचा ली.
डफरीन में हर दिन औसतन 25 से 30 महिलाओं की प्रसूति होती है. शहरी क्षेत्र सहित ग्रामीण क्षेत्र से बडी संख्या में यहां महिला भर्ती होती है. यहां कुसमा सूरजलाल धुर्वे (31) नामक धारणी कसाईखेडा ग्राम की एक महिला गंभीर अवस्था में प्रसूति के लिए भर्ती हुई थी. महिला 35 सप्ताह की गर्भवती थी. लेकिन गर्भाशय के भीतर बच्चे को पोषण देनेवाला प्लेसेेंटा यह गर्भाशय के मुख पर फैला हुआ था. इस कारण उसकी प्रसूति होने में दुविधा निर्माण हो गई थी. ऐसे समय डॉ. सबा तबस्सूम और उदयन बोरकर ने तत्काल महिला की जांच की. साथ ही डॉ. स्वाती खांदे ने समय पर महिला को रक्त जांच को भेजा. महिला का हिमोग्लोबीन 9.7 ग्राम था. लेकिन प्लेसेंटा प्रिविया के कारण काफी रक्तस्त्राव होता रहने से सिजेरियन करना आवश्यक था. महिला का पति सिजेरियन के लिए तैयार न रहने से मेलघाट सेल के समुपदेशक प्रकाश खडके ने कोरकू भाषा में उसे समझाया. अस्पताल के एमएस डॉ. विनोद पवार, एसीएस डॉ. अरूण सालुंके के मार्गदर्शन में समय पर डॉ. स्वाती खांदे, डॉ. अनूप बोंद्रे, डॉ. सबा तबस्सूम ने सिजेरियन कर मां और बच्चे की जान बचाई.

* नवजात एसएनसीयू में
सिजेरियन प्रसूति में महिला ने बच्चे को जन्म दिया. उसका वजन 2 किलो 200 ग्राम था. लेकिन उसकी हालत चिंताजनक रहने से उसे एसएनसीयू में भर्ती किया. बालरोग तज्ञ डॉ. श्रीनिकेत तिडके यह बच्चे पर उपचार कर रहे है और हालत में सुधार होता जा रहा है.

* क्यां है ‘प्लेसेंटा प्रिविया’
गर्भवती होने के दौरान गर्भाशय के भीतर बच्चे को पोषण देनेवाला प्लेसेंटा कभी-कभी गर्भाशय के निचले हिस्से में तैयार होता है. लेकिन यदि गर्भाशय के मुख पर फैला तो ऐसी स्थिति को प्लेसेंटा प्र्रिविया कहते हैं. इस कारण प्रसुति होने में दुविधा निर्माण होती हैं.

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