मेलघाट में माता मृत्यु सत्र बदस्तूर
ट्रैकिंग प्रणाली केवल कागजों पर ही

* 6 माह में हुई 9 माता मृत्यु, यंत्रणा फेल
अमरावती /दि.8 – कुपोषण का श्राप रहनेवाले आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में विगत 6 माह के दौरान माता मृत्यु के 9 मामले दर्ज हुए. जिसके जरिए स्वास्थ्य विभाग के लचर कामकाज को समझा जा सकता है.
बता दें कि, स्वास्थ्य विभाग का कामकाज ऑनलाइन चलता है. किसी गर्भवती महिला का पंजीयन होने के बाद पोषण आहार व विविध स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी को ऑनलाइन दर्ज किया जाता है, परंतु इसके बावजूद भी गर्भवती व नवप्रसूता माताओं की मृत्यु का सत्र लगातार जारी है. ऐसे में सवाल उपस्थित हो रहा है कि, क्या स्वास्थ्य विभाग द्वारा केवल कागजी खानापूर्ति ही की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग के सांख्यिकी अधिकारी, मूल्यांकन अधिकारी व स्वास्थ्य पर्यवेक्षिका द्वारा अपनी जवाबदारी को पूरी इमानदारी से नहीं निभाया जाता, यह अपने-आप में एक कडवी हकीकत है. ऐसे में सवाल उपस्थित होता है कि, आखिर स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर मेलघाट में प्रतिवर्ष आनेवाली करोडों रुपए की निधि कहां खर्च होती है.
बता दें कि, जिला स्तर पर विशेष मेलघाट सेल कार्यरत है तथा धारणी में एडीएचओ कार्यालय रहने के साथ ही चिखलदरा व धारणी इन दो तहसीलों के लिए जिला कार्यक्रम व्यवस्थापक भी है. धारणी व चिखलदरा तहसीलो में माता व बाल मृत्यु को रोकने हेतु स्वास्थ्य महकमे की ‘टॉप टू बॉटम’ यंत्रणा कार्यरत रहने के बावजूद विगत 6 माह के दौरान इस क्षेत्र में 9 माता मृत्यु के मामले दर्ज हुए. उल्लेखनीय है कि, किसी महिला के गर्भवती होने से लेकर उसकी प्रसूति होने तक स्वास्थ्य विभाग को ऑनलाइन रिकॉर्ड रखना होता है. भले ही आदिवासी महिलाएं अशिक्षित रहने के चलते आधुनिक चिकित्सा पद्धति को लेकर जागरुक नहीं होती. परंतु डॉक्टरों से लेकर आशा वर्करों तक सभी लोग पढे-लिखे व ज्ञानी होते है, परंतु इसके बावजूद वे माता मृत्यु के मामलों को रोकने में असफल साबित हो रहे है.
* एएनसी ट्रैकिंग व विशेष सॉफ्टवेयर
मेलघाट में गर्भवती महिलाओं का ‘टॉप टू बॉटम’ रिकॉर्ड रखा जाता है. जिसके लिए स्वास्थ्य महकमे के पास एएनसी ट्रैकिंग व विशेष सॉफ्टवेयर की व्यवस्था उपलब्ध है. जिसमें प्रत्येक गर्भवती व नवप्रसूता महिला के नाम सहित उन्हें प्रति माह कौनसी सेवा दी गई, इसकी जानकारी दर्ज होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि, क्या इस तरह की जानकारियां फर्जी तरीके से दर्ज की जाती है. यदि इसकी जांच होती है, तो कई लोगों की ‘विकेट’ भी गिर सकती है.
* सिकलसेलग्रस्त माता की मृत
विगत माह के दौरान ही एक सिकलसेलग्रस्त माता की मौत हुई. ऐसी महिलाओं का तो जन्म से लेकर मौजूदा समय तक रिकॉर्ड स्वास्थ विभाग के पास रहता है. जिसके लिए जिला स्तर पर दो तहसीलों हेतु जिला सिकलसेल समन्वयक की नियुक्ति भी की गई है. परंतु इसके बावजूद सिकलसेलग्रस्त गर्भवती महिला की प्रसूति को लेकर आवश्यक सावधानी व सतर्कता क्यों नहीं बरती गई. अब यह सवाल स्वास्थ विभाग से पूछा जा रहा है.
* हरिसाल में कुछ दिन पहले अति रक्तस्त्राव के चलते एक माता मृत्यु होने की जानकारी सामने आई है. जिससे संबंधित रिपोर्ट वरिष्ठों को जल्द ही भेज दी जाएगी.
– डॉ. प्रवीण पारिसे
एडीएचओ, धारणी.





