आश्रमशाला के स्थलांतरण पर गंभीर हुए सांसद बलवंत वानखडे

मामले में जल्द ध्यान देकर कार्रवाई करने का दिया आश्वासन

* चिखलदरा पत्रकार संघ के पदाधिकारियों ने सर्कीट हाऊस पर की भेंट
* बैठक में मेलघाट के पूर्व विधायक राजकुमार पटेल भी थे उपस्थित
* ‘अमरावती मंडल’ ने ही सबसे पहले मामला उठाकर खबर की थी प्रकाशित
चिखलदरा/दि.23 – विगत 3 अक्तूबर को दैनिक ‘अमरावती मंडल’ ने प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित करते हुए जानकारी दी थी कि, चिखलदरा में चलनेवाली आडनदी आश्रमशाला को संस्था चालकों द्वारा अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए मनमाने ढंग से अचलपुर स्थलांतरित किया जा रहा है. जिसके चलते क्षेत्र में रहनेवाले आदिवासी बच्चों एवं उनके अभिभावकों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडेगा. जिसके बाद चिखलदरा तहसील क्षेत्र में अच्छा-खासा हडकंप मच गया. साथ ही साथ गत रोज चिखलदरा तहसील क्षेत्र के दौरे पर आए जिले के सांसद बलवंत वानखडे के सामने चिखलदरा पत्रकार संघ के पदाधिकारियों ने इस मुद्दे को पूरजोर तरीके से उठाया. जिसके चलते मामले की गंभीरता को देखते हुए सांसद बलवंत वानखडे ने इस मामले में जल्द ही ठोस कार्रवाई करने की बात कही और संबंधित अधिकारियों से संपर्क करते हुए पूरे मामले की जानकारी लिखित तौर पर देने के निर्देश जारी किए.
बता दें कि, मेलघाट के आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले तथा दुर्गम क्षेत्रों के बच्चों को घर स्कूल आने-जाने में कोई दिक्कत न हो, इस बात के मद्देनजर सरकार द्वारा मेलघाट में आदिवासी आश्रमशालाएं चलाई जाती है. जहां पर क्षेत्र के आदिवासी बच्चों की पढाई-लिखाई के साथ ही उनके भोजन व निवास की व्यवस्था भी रहती है. इस पूरी व्यवस्था की देखभाल के लिए धारणी में आईएएस स्तर के एक अधिकारी की नियुक्ति भी की गई है, जो धारणी स्थित आदिवासी प्रकल्प कार्यालय में बैठकर मेलघाट क्षेत्र में चलनेवाली दर्जनों आश्रमशालाओं में पढनेवाले हजारों विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए काम करते है, परंतु इसी प्रकल्प कार्यालय के अधिकारियों की मनमानी के चलते इस समय क्षेत्र के आदिवासी बच्चों का भविष्य खतरे में पडा दिखाई दे रहा है. क्योंकि आदिवासी आश्रमशाला को चिखलदरा से अचलपुर स्थलांतरित करने का अजिबोगरीब फैसला लिया गया है. इसकी वजह से इस आश्रमशाला में पढनेवाले पहली से आठवीं कक्षा के करीब 200 विद्यार्थी अपने क्षेत्र से दूर हो जाएंगे. हैरतवाली बात यह भी है कि, चिखलदरा में 80 हजार रुपए प्रति माह किराएवाली इमारत को छोडकर इस आश्रमशाला के लिए अचलपुर मे 1.50 लाख रुपए प्रति माह किराएवाली इमारत ली जा रही है. इस पूरे मामले को लेकर सामने आई जानकारी के मुताबिक चिखलदरा के निकट आडनदी के पास स्थित आदिवासी आश्रमशाला की इमारत खस्ताहाल हो जाने के चलते उसे चिखलदरा में डेढ एकर क्षेत्रफल में बने रिसोर्ट की इमारत को किराए पर लेकर वहां स्थलांतरित किया गया था. जो मेलघाट में चलनेवाली अन्य कई आश्रमशालाओं की इमारतों की तुलना में सबसे अच्छी व साफसुथरी इमारत थी. जिसे लेकर विगत चार वर्ष के दौरान किसी भी अभिभावक, शिक्षक व विद्यार्थी की ओर से कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई थी. इस दौरान प्रकल्प कार्यालय ने इमारत मालिक को 4 नए कमरे बनाकर देने हेतु कहा. जिसके चलते इमारत मालिक ने अपनी जेब से 20 लाख रुपए खर्च करते हुए 4 नए कमरे भी बनाकर दिए. परंतु प्रकल्प कार्यालय के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों ने इस इमारत का दो साल तक किराया रोककर रखा और नया करारनामा बनवाने की बात कहते हुए इमारत मालिक से हजारों रुपए खर्च भी कराए. लेकिन इसके बाद प्रकल्प कार्यालय की ओर से अचानक ही इमारत खाली करने का पत्र देने के साथ ही दो साल का किराया अदा किए बिना उस इमारत को खाली कर दिया गया. जिसके बाद आश्रमशाला में पढनेवाले बच्चों को चिखलदरा में ही स्थित एक खस्ताहाल इमारत में शिफ्ट कर दिया गया तथा इस इमारत के खस्ताहाल रहने और क्षेत्र में कोई दूसरी इमारत किराए पर उपलब्ध नहीं रहने की वजह को आगे करते हुए इस आदिवासी आश्रमशाला को चिखलदरा से सीधे अचलपुर शिफ्ट कर दिया गया. खास बात यह है कि, चिखलदरा वाले रिसोर्ट का किराया 80 हजार रुपए प्रति माह था. जिसे खाली करते हुए प्रकल्प कार्यालय ने अचलपुर में डेढ लाख रुपए प्रति माह के किराए पर जगह ली है. ऐसे में अब इस पूरे कारनामे के पीछे किसक हित है, इस बात की जांच होने की जरुरत प्रतिपादित की गई है.
उपरोक्त जानकारी सांसद बलवंत वानखडे को देने के साथ ही चिखलदरा तहसील पत्रकार संघ के पदाधिकारियों ने उन्हें बताया कि, मेलघाट के खडीमल, चुनखडी, मडकी, बोरी, राहू, बिबा, बोराट्याखेडा, मनभंग, खिडकी कलम, रानीतंबोली, कसाईखेडा व बुलूमगव्हाण जैसे दुर्गम व अतिदुर्गम आदिवासी गांवों सहित अन्य गांव-खेडों के करीब 200 बच्चे चिखलदरा स्थित इस आदिवासी आश्रमशाला में रहकर पढाई-लिखाई किया करते थे. ऐसे में उन बच्चों के अभिभावक किसी भी काम के सिलसिले में गांव से चिखलदरा आने पर अपने बच्चों से मिल लिया करते थे. लेकिन अब चूंकि इस आदिवासी आश्रमशाला को चिखलदरा से अचलपुर स्थलांतरित कर दिया गया है. ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चों से मिलने के लिए अपना पैसा व समय खर्च करते हुए नाहक ही अचलपुर जाना पडेगा. जिसके चलते अब इस पूरे मामले की सघन जांच किए जाने की मांग जोर पकड रही है. इसके साथ ही पत्रकारों ने यह भी कहा कि, आदिवासी विकास के नाम पर सरकार की ओर से जारी होनेवाले करोडों रुपयों के फंड का नियोजन धारणी प्रकल्प कार्यालय द्वारा किया जाता है. इस निधि के जरिए क्षेत्र के आदिवासियों की भलाई व विकास होना अपेक्षित है. परंतु इस निधि पर हमेशा ही प्रकल्प कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों सहित ठेकेदारों व दलालों की नजर रहती है. क्योंकि यहीं से सागसब्जी व किराने के बिल सहित किराए की इमारतों के किराए भाडे की रकम जारी होती है. जिसमें हमेशा ही आपसी मिलीभगत के जरिए जमकर बंदरबांट होने के आरोप लगते रहते है. किसी इमारत को किराए पर लेना, उसका किराया तय करना और किसी इमारत को अचानक ही खाली कर देना जैसे कामों के लिए इस कार्यालय के कई पुराने कर्मचारी सेटींग करवाने में जमकर माहीर है. इसी के तहत चिखलदरा की एक इमारत को किराए पर लेकर दो साल तक इस इमारत का किराया ही अदा नहीं किया गया और फिर उस इमारत को बिना किराया दिए अचानक ही खाली भी कर दिया गया. उक्त इमारत का मालिक आज चार साल बाद भी खुद को अपना किराया मिलने का इंतजार कर रहा है. जिसे लेकर अचलपुर की अदालत में मुकदमा भी चल रहा है. ऐसे में पूरे मामले की सघन जांच होने और इस मामले में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई होने की मांग जोर पकड रही है.
इस पूरे मामले से अवगत होते ही सांसद बलवंत वानखडे काफी धीरगंभीर दिखाई दिए और उन्होंने इस मामले को लेकर जल्द ही ठोस कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. इस चर्चा के समय मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व विधायक राजकुमार पटेल सहित चिखलदरा पत्रकार संघ के मनोज शर्मा, विनायक येवले, मोहसीन शेख, नारायण येवले, आकाश जयस्वाल, विनी चंदामी, मारोती पाटणकर, अबोध चव्हाण व मोहन गायन आदि उपस्थित थे.

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