सांसद वानखडे गुरूजी के पक्ष में

टीईटी के बारे में धारा आरटीई में संशोधन की मांग

* सुको ने कर रखी है अध्यापकों को टीईटी उत्तीर्ण करने की शर्त
अमरावती/ दि. 18 – सर्वोच्च न्यायालय ने देश में अध्यापक पेशे को अपनाने वाले एवं सरकारी शालाओं में अध्यापक बने रहने के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया है. ऐसे में अध्यापकों ने इस निर्णय का विरोध कर लाखों लोगों प्रतिकूल असर होने का दावा किया है. अमरावती के सांसद बलवंत वानखडे ने भी अध्यापकों की मांग का समर्थन कर शिक्षा का अधिकार कानून में संशोधन की मांग कर डाली है. शिक्षक समिति ने सांसद बलवंत वानखडे को इस बारे में निवेदन दिया तो सांसद वानखडे ने उनकी मांग का समर्थन कर अन्य सांसदों से भी यह मांग बुलंद करने का आवाहन कर डाला.
अध्यापक समिति चाहती है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पालन करने की बजाय सीधे शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 23 (2) को संशोधित किया जाए. कांग्रेस नेता वानखडे ने लोकसभा के शीत सत्र में यह संशोधन विधेयक लाने की मांग उपस्थित की है. उधर अध्यापक समिति का कहना है कि भारत सरकार के शालेय शिक्षा मंत्री को भी इस बारे में विस्तृत निवेदन भेजा गया है. एनसीटीई ने टीईटी ने अस्तित्व में रहने से पहले नौकरी में आए अध्यापकों को सेवा में रहने अथवा पदोन्नति के लिए अनिवार्य करना न्यायसंगत नहीं होने का दावा शिक्षक समिति ने किया है. जबकि कोर्ट ने टीईटी उत्तीर्ण करने की समय सीमा 1 सितंबर 2027 रखी है. सांसद वानखडे को निवेदन देते समय आल्हाद तराल, संजय गावंडे, तुलसीदास धांडे, महेंद्र नवलकार, दिलीप वैद्य, अजयानंद पवार, शैलेन्द्र दहातोंडे, राजेश सावरकर, प्रवीणा कोल्हे उपस्थित थे.

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