अगले वर्ष और भव्य होगा आयोजन

संपादक अनिल अग्रवाल का ऐलान

* तुलसी जयंती पर रविवार को चांगापुर में संगीतमय सुंदरकांड
* राम भक्तों की तैयारी सभा जोरदार
अमरावती/ दि. 31-आज के दौर में युवा पीढी सहित सभी को मोबाइल हैंडसेट से दूर रखना और भारत वर्ष के आराध्य प्रभु रामचंद्र एवं हनुमानजी की भक्ति में तल्लीन करना दुष्कर कार्य रहने के बावजूद अनिल जी नरेडी की अति तीव्र भावनाओं और मर्मस्पर्शी आवाहन के कारण पिछले अनेक वर्षो से गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती पर सुंदरकांड तथा हनुमान चालीसा का पाठ न केवल सफल रहे हैं अनुकरणीय रहे हैं. अपितु अमरावती का प्रभुद्बजन ऐसे आयोजनों से जुडने उद्यत है. अत: कालांतर में इसे अमरावती का आयोजन बनाने का प्रयत्न होगा. अगले वर्ष से ही इसका प्रारंभ कर दिया जायेगा. जब इसे चांगापुर नरेश नगरी में चांगापुर नरेश हनुमानजी के परिसर में ही भव्य स्वरूप में आयोजित करने का प्रयास रहेगा. यह बात संपादक अनिल जु. अग्रवाल ने किया. वे गत शाम अग्रसेन भवन में आयोजित इस वर्ष के तुलसीदास जयंती उपलक्ष्य सुंदरकांड पाठ की आयोजन व तैयारी सभा को संबोधित कर रहे थे. मंच पर इस आयोजन के अनिल सुगनचंद अग्रवाल नरेडी, अग्रवाल समाज अध्यक्ष विजय केडिया, पं. देवदत्त शर्मा, कमलकिशोर मालानी, रामेश्वर गग्गड विराजमान थे.
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष आयोजन आगामी रविवार 3 अगस्त को सुबह 9 बजे से चांगापुर हनुमान जी मंदिर में रखा गया है. संगीतमय सुंदरकांड की प्रस्तुति मुंबई से पधारी मीनू पोद्दार और संजय पारख देेंगे. पुणे के वरिष्ठ अध्यापक आर्ट ऑफ लीविंग सुनील पोद्दार की विशेष उपस्थिति में यह आयोजन रामचरित मानस रचियता संत श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज की पावन जयंती उपलक्ष्य रखा गया है. आयोजन उपलक्ष्य बैठक रखी गई थी. जिसमें तैयारियों का अवलोकन किया गया और दायित्व सौंपे गये.
अनिल अग्रवाल ने कहा कि एक वर्ष आयोजन करना सहज होता है. किंतु उस परिपाटी को वर्ष दर वर्ष आगे बढाना थोडा कठिन कार्य है. ऐसे में अनिल नरेडी की कल्पना और भावना से प्रारंभ हुए तुलसी जयंती के इस आयोजन की सफलता के कारण ही इसे अमरावती की परंपरा बनाने का मानस व्यक्त हुआ है. अगले वर्ष चांगापुर नरेश नगरी में इसे और वृहद प्रमाण पर आयोजित करने की घोषणा संपादक अग्रवाल ने करतल ध्वनि के बीच की. उन्होंंने कहा कि आज आयोजन में 500 से अधिक नित्य रूप से सहभागी हो रहे हैं. आगे 1500- 2000 से अधिक लोगों को जोडने का मानस हैं. विशाल पंडाल आच्छादित कर वहां आयोजन किया जायेगा.
* अमरावती का आयोजन
अनिल अग्रवाल ने यह भी कहा कि आयोजन सुंदर है. इसे नित्य बनाए रखने के साथ ही धर्मनगरी अमरावती का आयोजन बनाने का भी मानस है. उन्हें विश्वास है कि यह मानस पूर्ण होगा. कालांतर में तुलसी जयंती का यह सुंदरकांड पाठ और इसके साथ जोडे गये आयाम से यह अंबानगरी का अपना बडा पारंपरिक आयोजन बन जायेगा. अग्रवाल ने पुन: कहा कि निरंतरता बनाए रखना थोडा कठिन होता है. उन्होंने परतवाडा की वैष्णों देवी विशेष ट्रेन यात्रा का जिक्र किया जो बडा सेवाभावी उपक्रम रहा और अनेक वर्षो तक चला.
* उपकृत हूं – अनिल नरेडी
आयोजक अनिल नरेडी ने तुलसी जयंती के आयोजन को नये आयाम देने में सहयोग करने और उपस्थित रहने वाले सभी धर्म प्रेमियों के प्रति अपार कृतज्ञता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि वे नित्य रामायण पाठ करते हैं. अत: उन्हें आयोजन की प्रेरणा गोस्वामी तुलसीदास जी की कालजयी लेखनी से ही प्राप्त हुई है. अब अनिल जी अग्रवाल और अन्य सभी गणमान्य के आयोजन से जुड जाने के कारण यह समारोह नित्य रखा जायेगा. इस घोषणामात्र से वे आल्हादित हैं. उपकृत हैं. उन्होंने पुन: आवाहन किया कि यह धर्मप्रेमियों का अपना आयोजन है. इसलिए रविवार 3 अगस्त के आयोजन में यथा समय उत्साह से पहुंचकर सहभागी होवे और धर्मलाभ लेवें.
सर्व श्री अशोक नरेडी, ओम प्रकाश चांडक, सुरेश रतावा, बंकटलाल राठी, गोपाल राठी सायत, प्रतापसिंह शेखावत, अशोक जाजू, राम प्रकाश गिल्डा, सुनील अग्रवाल, प्रमोद भारतीया, प्रकाश अग्रवाल, राम निवास अग्रवाल, भोपा महाराज, जुगल दवे, योगेश राठी, डॉ. राजेश चांडक, हुकमीचंद खंडेलवाल, विजय अग्रवाल मामा, दीपक अग्रवाल धामोरिया, हेमलता अनिल अग्रवाल, आशा गग्गड, उर्मिला कलंत्री, शिल्पा दवे, अक्षय धानोरकर, रतीलाल सातपुत, शरद कासट, राजेन्द्र मोहता, अजय चौधरी, सतीश गोयनका आदि अनेक की उत्साहपूर्ण उपस्थिति रही.

* मुरारी बापू की रामकथा हेतु प्रयास
संत श्री और रामायण प्रवर मुरारी बापू की रामकथा अमरावती में हुए दशक बीत गये. उनकी भव्य रामकथा के अंबानगरी की धरा पर आयोजन के लिए प्रयासरत रहने की बात संपादक अनिल अग्रवाल ने कही. अग्रवाल ने कहा कि वे संत श्री मुरारी बापू से बडे प्रभावित है. अमरावती में बरसों पहले हुई बापू की राम कथा में माता जी की अंगुली पकडकर हाजरी लगाई थी. अत: अब यवतमाल पश्चात अगले चरण में अंबानगरी में मुरारी बापू की रामकथा शीघ्र आयोजित करने का प्रयत्न होगा.

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