मराठी पर प्रेम नहीं, मनपा चुनाव पर नजर
सीएम फडणवीस ने उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना

मुंबई/दि.28 – वर्ष 2022 में राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए खुद उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल को लेकर गठित विशेषज्ञों की रिपोर्ट को स्वीकार कर राज्य में त्रिभाषा पद्धति से प्राथमिक शिक्षा देने के निर्णय को मंजूरी दी थी और अब वही उद्धव ठाकरे अपने उसी निर्णय के खिलाफ बोल रहे है. जिसका सीधा मतलब है कि, इस विरोध के पीछे कोई राजनीतिक वजह है, इस आशय का प्रतिपादन करने के साथ ही सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, उद्धव ठाकरे द्वारा अपने ही निर्णय के खिलाफ अपनाई जा रही भूमिका के लिए उनका मराठी प्रेम कोई वजह नहीं है, बल्कि मनपा के आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए उद्धव ठाकरे द्वारा इस तरह की भूमिका अपनाई जा रही है. साथ ही सीएम फडणवीस ने यह भी कहा कि, यदि आनेवाले समय में मनपा के चुनाव नहीं रहे होते, तब शायद शिक्षा विभाग के निर्णय का इस हद तक विरोध नहीं हुआ होता. इसके अलावा सीएम फडणवीस ने राज ठाकरे की भूमिका को लेकर कहा कि, राज ठाकरे और हमारी भूमिका पहले से अलग-अलग है. यदि सभी मुद्दों को लेकर हमारी भूमिका एकसमान रही होती, तो हम एक ही पार्टी में रहे होते.
इस मुद्दे को लेकर अपनी ओर से स्पष्टीकरण जारी करते हुए सीएम फडणवीस ने कहा कि, महाराष्ट्र में केवल मराठी को लेकर ही अनिवार्यता है और हिंदी को लेकर को कोई सख्ती नहीं है, बल्कि हिंदी एक पर्यायी भाषा है तथा पर्यायी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा अन्य कोई भी भारतीय भाषा को पढा, लिखा व स्वीकारा जा सकता है. सीएम फडणवीस के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रिभाषा का सूत्र दिया गया है. जिसे महाराष्ट्र द्वारा स्वीकार किया गया था. जब वर्ष 2020 में यह नीति तय की गई तब महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी की सरकार थी और उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री रहते समय इस नीति का अध्ययन करने हेतु शिक्षा विशेषज्ञ माशेलकर की अध्यक्षता के तहत समिति गठित की गई थी. जिसमें डॉ. मुनगेकर व सुखदेव थोरात सहित 18 प्रमुख शिक्षा विशेषज्ञों का समावेश किया गया था. उन सभी लोगों ने एक रिपोर्ट तैयार करते हुए वर्ष 2021 में उद्धव ठाकरे सरकार को दिया था. जिसे उद्धव ठाकरे की सरकार ने ही स्वीकार किया था. उस रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि, मराठी के साथ-साथ अंग्रेजी व हिंदी भाषा को अनिवार्य किया जाए. साथ ही उस समय खुद उद्धव ठाकरे ने कहा था कि, अलग-अलग भाषाओं का अध्ययन किया जाना चाहिए और आज वही उद्धव ठाकरे अपने ही द्वारा कही गई बात बेहद विपरित भूमिका अपना रहे है, जो समझ से परे है.





