मेलघाट टाइगर रिजर्व में किसी भी बाहरी बाघ को नहीं छोड़ा गया है
वनसंरक्षक कीर्ति जगदाले ने दी अमरावती मंडल को जानकारी

चिखलदरा /दि.19- गुगामल वन्यजीव विभाग की वन संरक्षक कीर्ति जगदाले ने स्पष्ट किया है कि मेलघाट टाइगर रिजर्व में किसी भी बाहरी बाघ को नहीं छोड़ा गया है. इसलिए उन्होंने दैनिक अमरावती मंडल से बातचीत करते हुए नागरिकों से किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है.
गुगामल वन्यजीव अभयारण्य का क्षेत्रफल 64 हज़ार हेक्टेयर है और यह असंख्य वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास है. विभाग जंगल में चारागाह विकास, जंगल में बांध निर्माण, जल संरक्षण कार्य, मिट्टी की धूल रोकने के उपाय और घास की वृद्धि पर काम कर रहा है. इससे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलित विकास हो रहा है.
* पर्यावरण अनुकूल गतिविधियां
वन विभाग ’एक पेड़ मां के नाम’ पहल भी लागू कर रहा है. इस पहल के तहत, नागरिकों को अपनी मां के नाम पर पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. जगदाले ने कहा कि इससे स्थानीय लोगों का पर्यावरण के साथ भावनात्मक जुड़ाव मज़बूत होगा.
* पर्यटकों के लिए निर्देश
– वन रेंजरों ने जंगल सफारी के लिए आने वाले पर्यटकों को कुछ ज़रूरी निर्देश दिए हैं.
– जंगल में मोबाइल फ़ोन का ज़्यादा इस्तेमाल न करें.
– शराब पीकर जंगल में प्रवेश करना सख्त मना है.
– वन्यजीवों और पर्यावरण की सुरक्षा सभी की ज़िम्मेदारी है.
* जंगल सफारी शुरू
पर्यटकों के लिए अच्छी खबर यह है कि जंगल सफारी 15 अक्टूबर से शुरू होगी. इससे उन्हें मेलघाट की समृद्ध जैव विविधता और बाघों के आवास को देखने का मौका मिलेगा. फिलहाल, विभाग में कर्मचारियों की कमी है. हालांकि, बाघों और अन्य वन्यजीवों की गतिविधियों पर लगातार नज़र रखने के लिए चार प्रमुख वन क्षेत्रों – चिखलदरा, हरिसाल, ढकना और चौराखेड़ा – में कैमरे लगाए जा रहे हैं, ऐसा भी जगदाले ने कहा. वन रेंजर कीर्ति जगदाले ने ज़ोर देकर कहा कि मेलघाट बाघों का एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक आवास है और पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण और वन्यजीवों की सुरक्षा सभी की सामूहिक ज़िम्मेदारी है.





