झुडपी जंगल प्रकरण में कोई भी गरिब बेघर नहीं होगा

आगामी सप्ताह में एसओपी होगा जारी

* राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले का आश्वासन
मुंबई /दि.17- विदर्भ का कोई भी गरिब मनुष्य ‘झुडपी जंगल’ जमीन के नाम पर बेघर नही होगा. उसे पुरी सुरक्षा देने का काम सरकार करेगी. किसी को भी वैसे ही नहीं छोडा जाएगा, ऐसा स्पष्ट आश्वासन राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार 16 जुलाई को विधानसभा में दिया.
आगामी सप्ताह में मानक कार्यप्रणाली (एसओपी) जारी होगी. जिससे स्थानीय जनता का संभ्रम दूर होगा. आवश्यकता पडी तो पुनर्विचार याचिका दायर कर सरकार विदर्भ की जनता के हित का रक्षण करेगी, ऐसा भी मंत्री बावनकुले ने कहा. विधायक नाना पटोले द्बारा रखी गई ध्यानाकर्षण सूचना को विधायक राजकुमार बडोले और संजय मेश्राम ने उपस्थित किए उपप्रश्नों का भी उन्होंने विस्तृत जवाब दिया. राजस्व मंत्री बावनकुले ने सभागृह में स्पष्ट किया कि इस प्रकरण में 92 हजार 115 हेक्टेअर जमीन का संबंध आता है. इसमें से 86 हजार 409 हेक्टेअर जमीन वनीकरण के लिए अयोग्य है. इसमें से 27 हजार 507 हेक्टेअर जमीन पर अतिक्रमण है तथा 26 हजार 672 हेक्टेर जमीन इस्तेमाल के लिए है. 3 हजार 229 हेक्टेअर संरक्षित क्षेत्र है जो हस्तांतरित करते नहीं आ सकेगा. लेकिन इस्तेमाल करते आ सकेगा. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार 1996 के पूर्व की अतिक्रमण की सूची तैयार कर केंद्रीय वन मंत्रालय को भेजी जाएगी. 1996 के बाद के अतिक्रमण बाबत भी जानकारी संकलित कर एक माह में प्रस्तुत की जाएगी. इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बुधवार को बैठक लेकर शासन निर्णय जारी होगा.
विधायक राजकुमार बडोले ने ग्रामपंचायत, नगरपालिका और स्थानीय स्वराज्य संस्था के पंजीयन की जमीन तथा शासकीय इमारत, स्मशानभूमि, क्रिडांगण के निर्माण बाबत सवाल उपस्थित किए. इस पर बावनकुले ने कहा कि सरकार सभी स्थानीय स्वराज्य संस्था के पंजीयन का डेटा तैयार कर रही है.1996 के बाद के शासकीय निर्माण का भी समावेश इसमे है. 3 एकड से कम क्षेत्र को संरक्षित जंगल घोषित किया जाएगा. जिससे कोई भी घर अथवा शासकीय निर्माण बाधित नहीं होगा. आगामी शासकीय निर्माण के लिए वन विभाग की अनुमति लेनी पडेगी.
विधायक संजय मेश्राम ने विशेष कृतिदल स्थापना के मुद्दे पर सवाल पूछा. इस पर बावनकुले ने स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने तीन माह में केंद्रीय वन मंत्रालय के फॉर्मेट में जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है. उपविभागीय दंडाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, सहायक वन संरक्षक और भूमि अभिलेख अधीक्षक का समावेश वाला कृति दल अतिक्रमण हटाने के लिए काम करेगा. अवैध अतिक्रमण हटाए जाएंगे. लेकिन अनुसूचित जनजाति और पिछडा वर्गियों को संरक्षण देने का सरकार का नियम है.
* क्या है यह विवाद ?
जून 2025 में सामने आई जानकारी के मुताबिक नागपुर, भंडारा, गोंदिया, वर्धा, चंद्रपुर और गढचिरोली जिले की 86409 हेक्टेअर झुडपी जंगल जमीन राजस्व विभाग की तरफ से वन विभाग को हस्तांतरित की जानेवाली थी. प्रत्यक्ष में इसमें की अनेक जमीन पर घना जंगल नहीं है. अनेक सालों से इस जमीन पर नागरिक रहते है और खेती करते है अथवा सरकारी इमारते खडी है. इस कारण लाखों परिवार का भविष्य अधर में लटका था और स्थानीय विकास के काम भी रूक गए थे. इस पर राजस्व मंत्री बावनकुले ने तटस्थ होकर कहा कि इससे विदर्भ के जमीन का प्रश्न जल्द हल होगा और स्थानीय नागरिक तथा विकास प्रकल्पों को बडी राहत मिलेगी.

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