विमानतल के रेड झोन में एनओसी लेनी पडेगी
जारी हुई एमएडीसी की वेबसाइट पर जानकारी

* मान्य इंजीनियर से कराना होगा साइट सर्वे
* फिर करना होगा रिपोर्ट के साथ आवेदन
अमरावती/ दि. 26 –अमरावती विमानतल के आसपास की सैकडों एकड जमीन को महाराष्ट्र विमान प्राधिकरण एमएडीसी ने चिन्हित किया है. हवाई जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने रेड, नीला, गुलाबी, पीला और हरा रंग विमान तल के आसपास के एरिया को उक्त नक्शे में दिया गया है. उसी प्रकार स्पष्ट कहा गया कि रेड झोन की जमीन पर निर्माण से पहले एमएडीसी की अनुमति या एनओसी अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना बंधनकारक है. एमएडीसी की वेबसाइट पर यह जानकारी दी गई है. जिससे अमरावती के बिल्डर्स और ब्रोकर्स अलर्ट हो गये हैं.
बेलोरा विमान तल का विकास कर उसे गत 16 अप्रैल से ऑपरेटिव किया गया. अमरावती से मुंबई विमान से आना- जाना संभव हो सका. सप्ताह में तीन- तीन उडानें रहने से सामान्य लोगों को भी उडकर मुंबई जाने का अथवा वहां से अमरावती आने का अवसर मिला है. ऐसे में विमानतल परिसर की जमीन के रेट स्वाभाविक रूप से चढ गये. इस बीच नागरी विमान यातायात मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर विमानतल के नजदीक की जमीनों को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं% लाल रंग से वेबसाइट पर दर्शाए गये नक्शे में जो भी जमीन होगी, उसके लिए एमएडीसी से सभी प्रकार के निर्माण हेतु अनापत्ति प्रमाणपत्र अर्थात एनओसी लेना अनिवार्य किया गया है. नीले रंग के जमीन व प्लॉट के लिए भी एमएडीसी के पास आवेदन कर एनओसी प्राप्त करनी होगी.
वेबसाइट पर की गई जानकारी में संपूर्ण प्रक्रिया और आवेदनकर्ता के लिए मार्गदर्शक निर्देश उपलब्ध है. जिसके अनुसार एमआईडीसी के पास ऑनलाइन रूप से आवेदन करने के साथ कहा गया कि दिए गये फार्मेट में आवेदन करना है. उसी प्रकार संबंधित जमीन की समुद्र तल से उंचाई, अक्षांश व रेशांश दर्शानेवाला इंजीनियर से प्राप्त रिपोर्ट व प्रकरण निहाय आवश्यक प्रतिज्ञा पत्र देना जरूरी है. कलर कोडिंग जोन नकाशे में लाल रंग के झोन में शामिल संपत्तियों के लिए अलग और नीला, गुलाबी, पीला, हरा रंग का झोन रहने पर अलग आवेदन प्रक्रिया रहेगी. रेड जोन और नीले जोन में प्रस्तावित निर्माण हेतु अनुमति और एनओसी अनिवार्य की गई है, ऐसी जानकारी सूत्रों ने अमरावती मंडल को दी.
उल्लेखनीय है कि अमरावती विमानतल का विस्तार कर ए- 72 विमानों की नियमित उडाने शुरू करने के साथ ही एशिया का सबसे बडा पायलट प्रशिक्षण केन्द्र बन रहा है. उसका निर्माण कार्य शुरू है. टाटा ग्रुप की कंपनी यह केन्द्र विकसित कर रही है. यहां आनेवाले दिनों मेें प्रतिवर्ष 180 पायलट प्रशिक्षण प्राप्त कर कमर्शियल लाइसेंस हासिल करनेवाले हैं. ऐसे में केन्द्र प्रारंभ होने पर प्रशिक्षु विमानों की रेलचेल रहेगी. ऐसे में विमानतल के आसपास की जमीनों के विकास की स्थिति में होनेवाले निर्माण की उंचाई पर कुछ बंधन रहनेवाले हैं.





