अब ‘गुंठाभर’ जमीन का भी होगा कानूनी व्यवहार

सातबारा पर नाम दर्ज करने का रास्ता खुला

* टुकडाबंदी कानून में सुधार के बाद खुला रास्ता
अमरावती /दि.19 – राज्य में तुकडेबंदी कानून रद्द करने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसके अनुसार महानगरपालिका, नगर परिषद और नगरपंचायत की सीमा के भीतर आने वाली अकृषक (गैर-कृषि) जमीन पर अब तुकडेबंदी कानून लागू नहीं होगा. इससे इन क्षेत्रों में एक-दो गुंठे जमीन की खरीदी-बिक्री भी कानूनी रूप से संभव होगी. इस प्रकार की जमीन का नाम सातबारा (7/12) उतारे पर नियमित रूप से दर्ज किया जा सकेगा.
राज्य के नागरी भागों तथा प्रादेशिक योजनाओं में शामिल बिगर-शेती उपयोग की अनुमति वाली जमीनों पर भी यह कानून लागू नहीं रहेगा. इस संबंध में राज्य सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश जारी किया है. इसके परिणामस्वरूप 15 नवंबर 1965 से तुकडेबंदी कानून के कारण अटकी पड़ी कई घरों और प्लॉटों को कानूनी स्वरूप देने का रास्ता खुल गया है. अधिकारियों के अनुसार, इस निर्णय से जिले के ही नहीं, बल्कि राज्यभर के लाखों परिवारों को न्याय मिलेगा, और लंबे समय से लंबित अनेक संपत्ति व्यवहार, वारसाहक्क तथा विकास कार्यों को गति मिलेगी.
* मालिकी हक के रूप में नोंदवाया जाएगा नाम
जिन जमीनों के व्यवहार पंजीकृत हैं, लेकिन जिनका नाम 7/12 उतारे पर दर्ज नहीं हुआ है, उनके नाम अब मालिकी हक के रूप में दर्ज किए जाएंगे. इसके अलावा, जिन जमीनों के व्यवहार पंजीकृत नहीं हैं (सिर्फ नोटरी से किए गए हैं), उनके धारक संबंधित सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकरण कराकर अपने अधिकार दर्ज करा सकेंगे. राजस्व विभाग इस संबंध में जल्द ही विस्तृत कार्यपद्धति तैयार कर सभी विभागीय एवं जिलास्तरीय कार्यालयों को मार्गदर्शक निर्देश जारी करेगा.
* विकास कार्यों को मिलेगी तेजी
महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण तथा विशेष नियोजन प्राधिकरण की सीमा में आने वाली अकृषक जमीन पर भी तुकडेबंदी कानून लागू नहीं रहेगा. नए कानून के अनुसार गुंठेवारी जमीनों को अधिकृत प्रमाणपत्र देने की मंजूरी मिल गई है. इससे वर्षों से लंबित भूमापन, राजस्व अभिलेख, तथा विकास कार्य को अब गति मिल सकेगी.
* लाभ क्या होगा नागरिकों के लिए?
कर्ज लेते समय गुंठेवारी जमीन को तारण (मॉर्टगेज) के रूप में उपयोग कर सकेंगे. वारसाहक्क तथा संपत्ति लेन-देन की प्रक्रिया सरल होगी. परिवार के हिस्सों को कानूनी रूप से नोंदवाया जा सकेगा. छोटी जमीनों के लेन-देन पर लगी कानूनी अड़चनें पूरी तरह हट जाएँगी. इस निर्णय से राज्य के नागरी क्षेत्रों में जमीन से संबंधित लेन-देन में बड़ा परिवर्तन होने की उम्मीद है. इससे वर्षों से लंबित मालिकी हक और जमीन पंजीकरण संबंधी समस्याओं का समाधान होगा.

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