अब दीवारों की बजाए मोबाइल स्क्रिन पर चुनाव प्रचार की धूम

बदलते वक्त के साथ चुनाव प्रचार भी हो गया हाईटेक

अमरावती /दि.21 – पहले के जमाने में चुनाव के समय हैंडबिल, कागजों के बडे-बडे पोस्टर, बिल्ले सहित दीवारों पर रंगाई-पुताई के जरिए चुनाव प्रचार किया जाता था. उस समय राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों द्वारा अपने प्रचार के लिए शहर की लगभग सभी दीवारों पर रंगाई-पुताई करते हुए मतदाताओं तक अपनी बात और दावेदारी पहुंचाई जाती थी. जिसके लिए रंगों के साथ-साथ गेरु व चुने का भी जमकर प्रयोग किया जाता था. साथ ही साथ शहरभर में लाउड स्पीकर लगे वाहन घुमाते हुए चुनाव प्रचार किया जाता था. परंतु अब धीरे-धीरे यह सब गुजरे दौर की बाते हो चुकी है और अब दीवारों को रंगने, हैंडबिल व पोस्टर बाटने की बातें इतिहासजमा होने के साथ ही लाउड स्पीकर लगाकर प्रचार करने की जरुरत भी खत्म हो गई है. क्योंकि अब इंटरनेट के जरिए वॉटस्एप, इंस्टाग्राम व फेसबुक जैसे सोशल मीडिया साइट का पर्याय उपलब्ध है और चूंकि अब हर व्यक्ति के पास एंड्राईड फोन व स्मार्ट फोन उपलब्ध है. जिसके चलते अब मतदाताओं के मोबाइल स्क्रिन पर ही प्रचार की जबरदस्त धामधूम चल रही है.
बता दें कि, इस समय तमाम तरह की वेबसाइट पर सत्ताधारी दल की सरकार के कार्यकाल दौरान हुए विकास की जानकारी देनेवाले कई छोटे-छोटे वीडियो भी दिखाए जा रहे है और सोशल मीडिया के चलते राजनीतिक दलों व नेताओं द्वारा किसी भी तरह की बाधा के बिना जनता से सीधा संपर्क करते हुए मतदाताओं से सरकार की योजनाओं को लेकर अभिप्राय भी मांगा जा रहा है. वहीं विरोधी दलों द्वारा भी गरीबों एवं सर्वसामान्य जनता के कल्याण का मुद्दा उठाते हुए सरकार पर निशाना साधने के साथ ही खुद को सत्ता में आने का मौका दिए जाने की अपील जनता से की जा रही है. जिसके चलते अब चुनाव के समय प्रचार काफी हाईटेक होता नजर आ रहा है.

* प्रचार के हाईटेक फंडे
किसी भी तरह की बाधा के बिना राजनीतिक दलों के लिए जनता के साथ मोबाइल एवं सोशल मीडिया के जरिए सीधे संपर्क साधना काफी आसान हो गया है. जिसके लिए फेसबुक, वॉटस्एप, इंस्टाग्राम व एक्स मीडिया जैसे कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाता है. कई उम्मीदवारों ने अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मतदाताओं के वॉटस्एप ग्रुप भी तैयार किए है. जिनके जरिए जनता का आशीर्वाद मिलने हेतु इच्छुकों ने सोशल मीडिया पर अपने प्रचार का दौर भी शुरु कर दिया है. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, मतदाताओं द्वारा किसके प्रचार को प्रतिसाद दिया जाता है.

* मतदाता भी हुए सजग व सतर्क
राजनीतिक जाणकारों के मुताबिक सोशल मीडिया पर चलनेवाली बैनरबाजी भले ही आकर्षक दिखाई देती है, परंतु हकीकत में इसका मतदाताओं पर कोई विशेष प्रभाव पडता ही है. यह बिल्कुल भी जरुरी नहीं. क्योंकि इस समय मतदाता काफी अधिक सजग व जागरुक हो गए है. अब मतदाताओं का ध्यान प्रत्याशी के काम, स्वच्छ प्रतिमा तथा विकास के दृष्टिकोन पर अधिक केंद्रीत होता है. इसके चलते सोशल मीडिया का फंडा अस्थाई तौर पर प्रभावी दिखाई देता है. परंतु मतदान के समय मतदाताओं द्वारा विकास व पारदर्शकता जैसी मूलभूत बातों का विचार करते हुए ही अपना निर्णय लिया जाता है और उसी के अनुरुप अपना वोट दिया जाता है.

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