लातूर में ओबीसी आंदोलक युवक ने की आत्महत्या
मांजरा नदी में छलांग लगाकर दी जान

* छगन भुजबल व धनंजय मुंडे परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे
* रेणापुर तहसील के वागदरी गांव की घटना
लातूर /दि.12- राज्य सरकार द्वारा हैदराबाद गैजेट लागू किए जाने के चलते अब राज्य में ओबीसी आरक्षण खत्म हो जाएगा और ओबीसी समाजबंधुओं का भविष्य खतरे में पड जाएगा, ऐसी चिंता व्यक्त करते हुए लातूर जिले की रेणापुर तहसील अंतर्गत वागदरी में रहनेवाले भरत महादेव कराड नामक 35 वर्षीय ओबीसी युवक ने मांजरा नदी में छलांग लगाते हुए आत्महत्या कर ली. यह आत्मघाती कदम उठाने से पहले भरत कराड ने अपने सुसाईड नोट में ओबीसी आरक्षण को लेकर चिंता जताते हुए राज्य सरकार के फैसले का निषेध भी किया था. इस घटना की जानकारी सामने आते ही ओबीसी नेता व राज्य के मंत्री छगन भुजबल सहित पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे ने तुरंत ही वागदरी गांव पहुंचकर भरत कराड के परिजनों से भेंट की और उनका ढांढस बंधाते हुए पूरे परिवार को सांत्वना भी दी. इस समय मंत्री छगन भुजबल ने भरत कराड के छोटे बच्चे को अपने सीने से लगाते हुए सभी को आश्वस्त किया कि, अगर कहीं पर भी कुछ भी कम पडता है, तो हम हैं.
जानकारी के मुताबिक पेशे से ऑटो चालक रहनेवाले भरत कराड द्वारा हमेशा ही ओबीसी आरक्षण से संबंधित प्रत्येक आंदोलन में सक्रिय सहभाग लिया जाता था और विगत दिनों राज्य सरकार ने जैसे ही मराठा आरक्षण को लेकर जीआर जारी किया, वैसे ही भरत कराड ने इस फैसले को गलत बताते हुए ओबीसी आरक्षण के भविष्य को लेकर चिंता जतानी शुरु कर दी थी. साथ ही भरत कराड ने अब अपने गांव के पास से होकर बहनेवाली नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या भी कर ली और आत्महत्या से पहले लिखी गई चिठ्ठी में भी मराठा आरक्षण के जीआर को ओबीसी विरोधी बताते हुए अपनी मौत के लिए राज्य सरकार के निर्णय को जिम्मेदार बताया.
बीते बुधवार को जिस समय भरत कराड ने नारेबाजी करते हुए मांजरा नदी में छलांग लगाई, तो यह देखते ही कुछ युवकों ने नदी में कूदकर भरत कराड को बचाने का प्रयास किया. लेकिन यह प्रयास पूरी तरह से असफल रहा. पश्चात भरत कराड के शव को बरामद कर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी करने के उपरांत गुरुवार के दोपहर वागदरी में भरत कराड के पार्थिव पर अंतिम संस्कार किए गए. इस समय वागदरी गांव सहित परिसर के नागरिकों ने ओबीसी आरक्षण को लेकर जमकर नारेबाजी की.

* मराठा आंदोलक मनोज जरांगे ने भी जताया शोक
– ओबीसी आंदोलकों से आत्मघाती कदम नहीं उठाने का किया आवाहन
वहीं दूसरी ओर ओबीसी समाज के एक युवक द्वारा की गई आत्महत्या की जानकारी मिलते ही मराठा आंदोलक मनोज जरांगे पाटिल काफी भावुक होते दिखाई दिए. साथ ही उन्होंने कहा कि, मराठा व ओबीसी अलग-अलग नहीं है, बल्कि एक ही है. ऐसे में समाज के किसी भी युवक ने ऐसा आत्मघाती कदम नहीं उठाना चाहिए. मनोज जरांगे ने यह भी कहा कि, राजनेताओं द्वारा ऐसी घटनाओं पर तुरंत ही अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने की शुरुआत कर दी जाती है और ऐसे लोगों का मरनेवालों के परिवारों व बालबच्चों से कोई लेना-देना नहीं रहता. अत: मराठा व ओबीसी समाज के युवाओं ने राजनेताओं के बहकावे में आकर कोई भी कृत्य नहीं करना चाहिए.
इसके साथ ही मंत्री छगन भुजबल द्वारा अपने लिए अशिक्षित यानि अनपढ शब्द का प्रयोग किए जाने पर पलटवार करते हुए मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि, मैंने अनपढ रहने के बावजूद छगन भुजबल जैसे नेता को आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया. ऐसे में अगर मराठा समाज के पढे-लिखे लोगों ने बोलना शुरु किया, तो क्या होगा? इस बात का छगन भुजबल ने विचार करना चाहिए. साथ ही जरांगे पाटिल ने यह भी कहा कि, मेरे जैसे अशिक्षित व्यक्ति के कहने पर राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए जीआर में मंत्री छगन भुजबल कोई भी सुधार नहीं कर पा रहे. जिसके चलते मंत्री छगन भुजबल अब पूरी तरह से पागल होने की कगार पर है.





