जिले में रोजाना औसतन 72 लोगों को काट रहे कुत्ते

जारी वर्ष के 7 माह में कुत्ता काटने के 15,304 मामले

* एक व्यक्ति की कुत्ता काटने से हो चुकी है मौत
* शहर में सर्वाधिक 6238 कुत्ता काटने के शिकारों का इलाज
* आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने प्रभावी कदम जरुरी
* शहर में तेजी के साथ बढ रही आवारा कुत्तों की समस्या
अमरावती/दि.13 – शहर में विगत लंबे समय से सडकों पर आवारा घुमनेवाले कुत्तों के निर्बिजीकरण का काम ठप पडा हुआ है. जिसके चलते प्रति वर्ष सडकों पर घुमनेवाले आवारा कुत्तों की संख्या में भारी-भरकम इजाफा हो रहा है. साथ ही साथ यह आवारा कुत्ते लोगों की जान के लिए भी खतरा बनते जा रहे है, इस बात का अंदाजा केवल इससे ही लगाया जा सकता है कि, विगत 7 माह के दौरान अमरावती शहर सहित जिले में 15 हजार 304 लोगों को कुत्तों द्वारा काट खाया गया, यानि जिले में रोजाना कुत्ता काटने की औसतन 72 घटनाएं घटित हो रही है. साथ ही विगत 11 माह के दौरान जिले में कुत्ता काटने की 19,715 घटनाएं घटित हुई है और कुत्ता काटने का शिकार रहनेवाले एक व्यक्ति की इलाज के दौरान रैबीज वायरस के संक्रमण की वजह से मौत भी हो गई है. इन तमाम आंकडों को ध्यान में रखते हुए आवारा कुत्तों के पैदा होनेवाली समस्याओं और हालात की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत एक वर्ष के दौरान जिले में हुई कुत्ता काटने की घटनाओं में से सर्वाधिक 6238 घटनाएं अकेले अमरावती शहर में ही घटित हुई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, अमरावती मनपा क्षेत्र में आवारा कुत्तों की समस्या काफी विकराल रुप ले चुकी है. ज्ञात रहे कि, किसी समय शहर की सडकों पर आवारा घुमनेवाले कुत्तों का मनपा द्वारा एक ठेकेदार एजेंसी के जरिए निर्बिजीकरण कराया जाता था. ताकि आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित रखा जा सके. परंतु विगत कुछ वर्षों से यह काम लगभग ठप पडा हुआ है. जिसके चलते साल-दरसाल शहर के सडकों पर आवारा कुत्तों की संख्या व समस्या लगातार बढती जा रही है. शहर की सडकों पर आवारा घुमनेवाले कुत्तों के झुंड वहां से गुजरनेवाले लोगों विशेषकर महिलाओं व बच्चों पर अकस्मात ही हमला कर देते है. साथ ही कई बार आवारा कुत्तों के झुंड सडकों से गुजरनेवाले वाहन चालकों के पीछे जोरजोर से भोंकते हुए उनका पीछा करते है. जिससे अब तक शहर में सैकडों लोग घायल हो चुके है. इसके अलावा कई बार आवारा कुत्ते सडकों के अचानक ही बीच में आ जाते है. जिसकी वजह से कई वाहन चालकों का संतुलन बिगड जाता है और वे जमीन पर गिरकर घायल हो जाते है. ऐसे में अब यह बेहद जरुरी हो चला है कि, शहर की सडकों पर आवारा घुमनेवाले कुत्तों की संख्या व समस्या को खत्म करने हेतु आवश्यक व प्रभावी कदम उठाए जाए.
उल्लेखनीय है कि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने देश की राजधानी दिल्ली सहित देश के तमाम शहरों की सडकों पर आवारा घुमनेवाले कुत्तों की समस्या पर अपनी चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को इस समस्या का सर्वसमावेशक समाधान खोजने के निर्देश जारी किए थे. जिसके बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के नाम एडवायजरी जारी करते हुए सडकों पर आवारा घुमनेवाले कुत्तों में से 70 फीसद आवारा कुत्तों को आगामी एक वर्ष के भीतर एंटी रैबिज के टिके लगाने का निर्देश जारी किया था. ज्ञात रहे कि, इस समय पूरे भारत देश के शहरों की सडकों पर लगभग 1 करोड 53 लाख के आसपास आवारा कुत्ते है. जिनकी अब राज्य सरकार द्वारा स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर नसबंदी करते हुए उनका एंटी रैबिज टिकाकरण भी किया जाएगा.
ज्ञात रहे कि, अब तक स्थानीय निकाय के तौर पर महानगर पालिका के पास शहर की सडकों पर आवारा घुमनेवाले कुत्तों का टिकाकरण करने हेतु किसी भी तरह की निधि या अनुदान का प्रावधान नहीं हुआ करता था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को जारी आदेशानुसार केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से निर्देश जारी किए जाने के चलते उम्मीद जताई जा सकती है कि, अब मनपा क्षेत्र में भी सडकों पर आवारा घुमनेवाले कुत्तों का निर्बिजीकरण व टिकाकरण युद्धस्तर पर किया जाएगा तथा शहरवासियों को सडकों पर आवारा घुमनेवाले कुत्तों की समस्या से छुटकारा मिलेगा.

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