आत्महत्याग्रस्त किसान परिवार को दी जाती है सिर्फ 1 लाख की मदद

अन्नदाता की जान की किमत इतनी कम!

अमरावती/दि.9- पश्चिम विदर्भ में किसान आत्महत्या की संख्या बढती ही जा रही है. 2025 में जनवरी से जून माह के बीच 527 किसानों ने आत्महत्या की है. संभाग में किसान आत्महत्या के मामले में यवतमाल जिला सबसे आगे है. जबकि अमरावती दूसरे स्थान पर हैं. आत्महत्या का प्रकरण मंजूर होने के बाद सरकार की ओर से आत्महत्याग्रस्त परिवार को मदद के रूप में सिर्फ एक लाख रुपए दिए जाते है. जबकि अगर किसी किसान की सांप के काटने, करंट लगने या अन्य कारण से मौत होती है तो गोपीनाथ मुंडे दुर्घटना योजना के तहत मृतक के परिवार को 2 लाख रुपए की मदद दी जाती है.
जानकारी के अनुसार अमरावती संभाग में आनेवाले 5 जिलों में 1 जनवरी से 30 जून के बीच 527 किसानों ने कर्ज के बोझ से परेशान होकर आत्महत्या की है. इसमें 112 मदद के लिए पात्र है. जबकि 108 प्रकरण अपात्र ठहराए गए. वहीं 307 प्रकरणों की जांच चल रही है.
* संभाग में 21 हजार का आंकडा पार
संभाग में 2001 से जून 2025 तक 21,674 किसानों ने आत्महत्या की है. इसमें से सरकार की ओर से 10,136 किसान आत्महत्या के मामलों को पात्र ठहराया गया. वहीं 11,229 मामले अपात्र ठहराए गए. 309 मामलों की जांच जारी हैं. दो दशक का समय बीत जाने के बात भी किसान आत्महत्या थम नहीे रही है.
* जिला निहाय आत्महत्या
जिला     आत्महत्या
यवतमाल                  178
अमरावती                 101
बुलढाणा                    91
अकोला                     90
वाशिम                       67
कुल                          527
* माह के अनुसार संख्या
जनवरी                 82
फरवरी                 71
मार्च                    104
अप्रैल                   77
मई                     100
जून                      93
कुल                    527

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