मुंबई/दि.17- 1962 से लेकर अब तक प्रदेश में 1658 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव लडा. केवल 10 प्रतिशत अर्थात 161 महिलाएं विधायक बन सकी. लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का निर्णय हो गया है. संसद ने विधेयक पारित कर दिया हैं. जिससे 2029 में महिला आरक्षण लागू होगा. महिलाओं को नेतृत्व देने में महाराष्ट्र बहुत प्रगतिशील नहीं कहा जा सकता. जबकि आधी वोटर क्षमता महिलाओं की रहती हैं.
बढना चाहिए प्रमाण
विधानसभा में महिलाओं का प्रमाण निश्चित ही बढना चाहिए. सभी की यह इच्छा हैं. मराठी साहित्य सम्मेलन की निर्वाचित अध्यक्षा डॉ. तारा भवालकर के अनुसार सदन में 50 प्रतिशत संख्या महिलाओं की होनी ही चाहिए. तभी प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को सही अवसर मिलेगा.
अब तक सीएम पद नहीं
महाराष्ट्र में अब तक किसी महिला नेत्री को मुख्यमंत्री अथवा उपमुख्यमंत्री पद प्राप्त नहीं हुआ हैं. विधानसभा की अध्यक्ष भी कोई महिला अब तक अवसर नहीं पा सकी हैं. 2019 के चुनाव में सर्वाधिक 24 महिलाएं विधाक चुनी गई थी. उनमें से तीन विधायक वर्षा गायकवाड, प्रणिती शिंदे और प्रतिभा धानोरकर अब सांसद बन गई हैं. महायुति सरकार में 39 मंत्रियों में केवल अदिति तटकरे एक मात्र महिला मंत्री हैं. जबकि उध्दव सरकार में तीन महिलाओं को मंत्री पद प्राप्त था. 1972 में 51 महिलाओ ने चुनाव लडा था. किंतु एक भी महिला जीती नहीं थी.