अन्य शहर

हवा में 50 प्रतिशत प्रदूषण घरों से निकलने वाले धूएं का

ग्रामीण क्षेत्र में 78 प्रतिशत घरों में चूल्हों पर बनता है खाना

* धूएं से महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरित असर
नागपुर/दि.1 – भारत में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र मेें हवा की गुणवत्ता में 30 से 50 प्रतिशत प्रदूषण यह घरों से निकलने वाले धूएं का है. गैस कनेक्शन व घरेलू गैस महंगा होने से लोग गैस का इस्तेमाल करना टाल रहे है. जिससे ग्रामीण क्षेत्र में 78 प्रतिशत घरों में चूल्हें पर खाना बनाया जा रहा है. जिसके लिए लडकी का इस्तेमाल किये जाने से प्रदूषण बढकर महिलाओं के स्वास्थ्य पर इसका विपरित असर देखा जा रहा है.
गरीब घरों में गैर की जगह पर चूल्हें का इस्तेमाल बढ गया है. राज्य में 36 प्रतिशत घरों में गैस सिलेंडर रहने के बाद भी अन्य इंधन का इस्तेमाल किया जाता है. बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड व छत्तीसगढ इन 6 राज्योंं में 86 प्रतिशत घरों में गैस सिलेंडर कनेक्शन है. लेकिन झुग्गी बस्तियों में अभी भी लकडियां, गोबर के ओपले, कृषि अवशेष, केरोसिन जैसे प्रदूषण निर्माण करने वाले इंधनों का इस्तेमाल किया जाता है.
* बस्तियों में प्रदूषण की मात्रा सर्वाधिक
शहर के झुग्गी बस्तियों में रहने वाले परिवारों को प्रदूषण की दुगनी मार सहनी पडती है. एक ओर बस्तियों में वायू प्रदूषण अधिक रहता है, दूसरी ओर प्रदूषण निर्माण करने वाले इंधन के संपर्क में यहां की महिलाएं रहती है. 2.6 अरब लोग अभी भी लकडियां, कचरा, कोयला, गोबर के ओपले व केरोसिन का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए करते है.
* महिलाओं के स्वास्थ्य पर परिणाम
प्रसुती दौरान होने वाली समस्याएं व घर से निकलने वाले धूएं के संपर्क में आने के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य पर सर्वाधिक परिणाम होता है. प्रसुती दौरान प्रदूषण के कारण कई समस्याओं का सामना करना पडता है. जिसके तहत मृत बच्चों का जन्म, बच्चों का वजन कम रहना, गर्भ का विकास रुकना, नवजात बालकों की मौत आदि समस्याएं प्रदूषण के कारण होती है. हमेशा धूएं के संपर्क में रहने से रोग प्रतिकार शक्ति कम होती है, ऐसा एक अध्ययन में सामने आया है.

Related Articles

Back to top button